देवताओंकी उपासना भक्तिभावसे करनेके लिए बतानेवाले सनातनके लघुग्रन्थ
श्रीरामकी विविध गुण-विशेषताएं क्या हैं ?, रामायणके कुछ नामोंका भावार्थ, रामायणके अनेक प्रसंगोंका भावार्थ ये सब पढने के लिए अवश्य पढिये लघुग्रन्थ ‘श्रीराम’
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रामजन्मभूमि आन्दोलन के संदर्भ में डॉ. नील माधव दासजी के अनुभव
अधिवक्ता के. परासरन् का रामजन्मभूमि प्रकरण का इतना अध्ययन है कि वे कई बार न्यायालय के सामने बोलते-बोलते ही महत्त्वपूर्ण दिनांक बहुत ही सहजता से बताते थे । वे उंगलियों पर गणना कर ‘कौन-से दिन क्या हुआ था ?’, यह बताते थे ।
वर्ष १९७५ से १९८० तक उन्हें रामजन्मभूमि परिसर में स्थित १४ स्थानों का शोधकार्य सौंपा गया था । तब उन्होंने बाबरी के ढांचे के नीचे और उस परिसर में व्यापक खुदाई की, जिससे उन्होंने प्रमाणित किया कि बाबरी पूर्व काल में उसी स्थान पर हिन्दुओं का भव्य मंदिर था ।
२२ जनवरी २०२४ के अभिजीत मुहूर्त पर मृगाशीर्ष नक्षत्र में दोपहर १२.२० पर प्रधानमंत्रीजी के हस्तों श्रीरामलला का अभिषेक होगा । उसके उपरांत २७ जनवरी से प्रतिदिन डेढ लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है । अतः प्रत्येक श्रद्धालु को रामलला के दर्शन करने हेतु केवल १५ से २० सेकंड का समय मिलेगा ।
प्रभु श्रीराम मंदिर इस विशेषांक में पढें अयोध्या की महिमा , संत संदेश एवं कारसेवकों के अनुभव !
छोटे बच्चों को भी रामराज्य का सपना देखना सिखाना होगा । उन्हें विद्यालयों में रामराज्य की निर्मिति के संस्कार देने होंगे । इसका आरंभ हम राममंदिर के पुनर्निर्माण से कर सकते हैं । हमें उससे प्रेरणा लेकर रामराज्य की ओर अग्रसर होना आरंभ करना है ।
मंदिर के नीचे श्रीरामतत्त्व कार्यरत था ही; परंतु अनेक वर्ष तक वह (श्रीरामतत्त्व) अवरोधित था । भले ही ऐसा हो; परंतु अभी भी वहां श्रीरामतत्त्व बना हुआ है ।
अयोध्या श्री राम मंदिर के चैतन्यदायी छायाचित्रमय दर्शन
ये रामनामधारी शिलाएं ‘अयोध्या में राममंदिर बनाने के साथ साधकों के मन में आत्माराम की स्थापना हो, अखिल भारत भूमि राममय हो’, इस संकल्प की वाहक हैं ।