१. एक संत एवं सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी को प्रतीत ‘सूक्ष्म ज्ञान के विषय में स्थित चित्र में समाहित स्पंदनों की मात्रा’
टिप्पणी १ : मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा होने पर सगुण चैतन्य मूर्तिरूप में वहां प्रत्यक्षरूप से आसन्न रहेगा ।
२. श्रीरामतत्त्व
२ अ. मंदिर में श्रीरामतत्त्व का अखंडित आकृष्ट होना
२ अ १. मंदिर के आसपास श्रीरामतत्त्व का कवच बनना
२ अ २. श्रीरामतत्त्व का वलय तैयार होकर उसका व्यापक स्वरूप में मंदिर परिसर के वातावरण में प्रक्षेपित होना : मंदिर के नीचे श्रीरामतत्त्व कार्यरत था ही; परंतु अनेक वर्ष तक वह (श्रीरामतत्त्व) अवरोधित था । भले ही ऐसा हो; परंतु अभी भी वहां श्रीरामतत्त्व बना हुआ है ।
यह श्रीराम की जन्मभूमि होने से यहां मूलतः श्रीरामतत्त्व है ही ! उसके कारण अनेक वर्षाें से इस स्थान पर श्रीरामतत्त्व कार्यरत है ।
२ अ ३. श्रीरामतत्त्व के कणों का फुहारों की भांति वातावरण में प्रक्षेपित होना : इस स्थान पर श्रीराम की कृपादृष्टि होने से ऐसा है ।
२ आ. चैतन्य
२ आ १. श्रीराममंदिर में चैतन्य का वलय कार्यरत होना : मंदिर में श्रीराम का तत्त्व कार्यरत होनेवाला है; इसलिए चैतन्य है । मंदिर के पुनर्निर्माण हेतु लडनेवाले लोग साथ ही मंदिर निर्माण के कार्य में सम्मिलित लोगों में भी भाव है, इस कारण यह हुआ ।
२ आ २. चैतन्य का वलय वातावरण में व्यापक स्वरूप में प्रक्षेपित होना : हिन्दू धर्म के विषय में लोगों में जागृति लाकर हिन्दू धर्म के प्रसार हेतु, साथ ही हिन्दुओं में धर्माचरण का महत्त्व तथा संगठितभाव उत्पन्न होने हेतु ऐसा होगा ।
२ इ. शक्ति : श्रीराममंदिर में शक्ति के कण कार्यरत होकर उनका वातावरण में प्रक्षेपित होगा
२ ई. धर्मशक्ति के कणों का चक्राकार स्वरूप में कार्यरत होकर वातावरण में उनका प्रक्षेपण होना : लोग हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण करें, साथ ही लोगों में हिन्दू धर्म एवं देवताओं के प्रति श्रद्धा बढे; इसके लिए ऐसा होगा ।
२ उ. श्रीराममंदिर से आनंद के वलय का धीरे से प्रक्षेपण होना
३. अन्य सूत्र
अ. रामभक्त जब मंदिर आकर श्रीराम से प्रार्थना करेंगे, उस समय अल्प भाववाले लोगों को ०.५ प्रतिशत, तो अधिक भाववाले रामभक्तों को १.१५ प्रतिशत श्रीरामतत्त्व का लाभ मिलेगा ।
आ. श्रीराम का तत्त्व अधिक मात्रा में कार्यरत होकर मंदिर में श्रीराम का अस्तित्व बने रहने हेतु श्रीराममंदिर के पुरोहितों को ३ से ५ वर्ष तक धार्मिक अनुष्ठान एवं मंत्रपाठ करना आवश्यक है ।
– एक संत (१७.६.२०२३)
सूक्ष्म ज्ञान संबंधी चित्र : कुछ साधकों को किसी विषय में अनुभव होकर जो अंर्तदृष्टि से दिखता है, उस संदर्भ में उनके द्वारा कागज पर रेखांकित किए चित्र को ‘सूक्ष्म ज्ञान संबंधी चित्र’ कहते हैैं । |