कारसेवा की अवधि में तत्कालीन बिहार राज्य में हिन्दुओं की रक्षा हेतु किया अतुलनीय कार्य !

हिन्दुओं का शताब्दियों से अविरत संघर्ष !

श्रीरामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए…

१९८९ में रामजन्मभूमि आन्दोलन से मैं जुड गया । तब मैं सरकार के अधीन डॉक्टर की नौकरी करता था । उस समय शीला पूजन रथ यात्रा चल रही थी । मैं बिहार के धनबाद जिला के झरिया नामक प्रखंड के निवासी था । मैंने गांव गांव रथयात्रा करायी । लोगों के मन में अभूतपूर्व उत्साह था । सभी वर्ग के लोग एवं सभी राजनैतिक दल के नेता इस में सम्मिलित होते थे । कुछ मुस्लिम बहुल क्षेत्र में जाने पर हम लोगों का निषेध किया गया था । परन्तु मैंने उस क्षेत्र में मुस्लिमों के बिरोध के बावजूद भी रथ यात्रा को पार कराया । फिर १९९२ में करसेवा का कार्यक्रम आया । तब मैं झरिया का विश्व हिन्दु परिषद का अध्यक्ष था । मैंने गांव गांव में समितीयां बनाई । हिन्दूओंका संगठन चरम पर पहुंच गया । झरिया से अनेक लोगों को करसेवा करने के लिए उत्साहित किया एवं भेजा ।

नील माधव दास

दिसंबर १९९२ में अयोध्या में बाबरी मसजिद टूट गयी । दुसरे ही दिन झरिया में मुसलमानोंने हिन्दूओंकी मारपीट करना शुरू  किया ।  उसका विरोध करना, उसका प्रत्त्युत्तर देना एवं हिन्दूओं की रक्षा करना यह एक बडा दायित्व मेरे उपर आ गया । पुलिस एवं प्रशासन मुसलमानों के साथ था, क्यों कि प्रांत के मुख्यमंत्री लालु यादव थे । इस बिच हमारे क्षेत्र में करफ्यु लग गया । इस के कारण हम लोगों को काम करना थोडा कठिन हो गया । मुसलमानों को पुलिस छूट देती थी । हिन्दू लोग लुके छिपे काम करते रहे । मुसलमानों ने एक मंदिरको तोड दिया । हमलोगो ने भी एक मसजिद को तोड डाला । मुसलमान लोग बिच बिच में हिन्दू नेताओं के घर पर बंदुक गोलीओं से हमला करते थे । हमलाोगों ने एक अेके ४७ बंदुक खरीद लिया । जब उसका हमला शुरू हुआ, तो मुसलमान लोग शान्त हुए । मेरे नामपर पकडनेका आदेश ( वॉरंट )  निकला । मैं घरमें नही रहता । इधर उधर छिपकर काम करता रहा । बहुत दिनों तक पुलिसोंसे छिपता हुआ मैंने हिन्दूओंको संगठित रखा एवं मुसलमानों को त्रस्त करके रखा और हिन्दूओंको सुरक्षित भी रखा । हमारे क्षेत्रमें मुसलमान लोग कोइ बडा अघटन नही कर पाये । मेरे घर पर बार बार पुलिस का छापा पडा; परन्तु मैं उनके हाथ नही आया । अन्ततः पुलिस ने हमको पकड लिया । थाना से छोडने के लिए पुलिसने हमसे घूस मांगा; परन्तु मैने घूस नहीं दिया । यदि मैं पैसे देकर छुट जाता तो कार्यकर्ताओं की दृष्टि से गिर जाता । पुलिस २४ घंटे मुझे पैसों के लिए प्रताडित करते रहे । जब अंतमें उनको पैसे मिलने की आशा नही रही, तो मुझे जेल भेज दिया । मेरे उपर ३ बडी धाराएं लगाई । मुझे जेलमें ७ दिन रहना पडा । परन्तु मेरे वकील लोग सीजेएम (CJM) को समझा पाये की, मेरे उपर अयोग्य धाराएं लगायी गयी हैं । ७ दिन के बाद मेरी छुटी ( बेल ) हो गयी । जब मैं जेल में था तब जेल में बंद क्रिमिनल लोगों से बहुत स्नेह मिला । वहां पर उन्होने मेरी बहुत सेवा की । मुझे अच्छा खाना खिलाया । उनको आश्चर्य था कि मैं डॉक्टर और सरकारी कर्मचारी होने के बावजुद हिन्दुओं के लिए इतना कैसे कर रहा हूं । जेल से बाहर आने के बाद मेरा काम और व्यापक हो गया । जब बीजेपी की सरकार आयी तब सरकार की घोषणा पत्र में राम मंदिर का उल्लेख नही रहा । मुझे अत्यधिक आघात लगा । मैं समझ गया की, बीजेपी हिन्दुओं का उपयोग कर रहा है । परन्तु हिन्दुत्व उसके अंदर में नहीं है । अतः मैने १९९८ में अपना नया संगठन ‘‘ तरुण हिन्दू ’’ नामका बनाया, जिसका एक मात्र उद्देश्य है, हिन्दु राष्ट्र बनाने के लिए काम करना । ’

– नील माधव दास, तरुण हिन्दू, बंगाल