हिन्दुओं का शताब्दियों से अविरत संघर्ष !
२ मई १९२१ के झांसी में जन्मे ब्रिज बासी लाल (बी.बी. लाल) देश के विख्यात पुरातत्व विशेषज्ञ हैं । वे १९६८ से १९७२ तक भारतीय पुरातत्व विभाग के मुख्य निदेशक थे । उन्होंने युनेस्को सहित कई प्रतिष्ठित संस्थाओं में काम किया है । वे संस्कृत भाषा एवं वेदों के भी विशेषज्ञ हैं । बी.बी. लाल ने अफ्रीका में भी पुरातत्व क्षेत्र में काम किया है । नाईल की घाटी, नुबिया आदि क्षेत्रों में उन्होंने मध्ययुग की संस्कृति के अस्तित्व के महत्त्वपूर्ण प्रमाणों की खोज कर बडा योगदान दिया । वर्ष १९५५ में बी.बी. लाल ने महाभारत में वर्णित नगरों के संदर्भ में खुदाई की । हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ, सोनपत, पानीपत, तिलपत, बागपत आदि कई स्थानों पर शोधकार्य कर उन्होंने ईसापूर्व १३०० के मनुष्य जीवन के चिन्हों की खोज की । वर्ष १९७५ से १९८० तक उन्हें रामजन्मभूमि परिसर में स्थित १४ स्थानों का शोधकार्य सौंपा गया था । तब उन्होंने बाबरी के ढांचे के नीचे और उस परिसर में व्यापक खुदाई की, जिससे उन्होंने प्रमाणित किया कि बाबरी पूर्व काल में उसी स्थान पर हिन्दुओं का भव्य मंदिर था । इस संदर्भ में उन्होंने अपना ब्योरा प्रस्तुत किया, जिसे न्यायालय ने प्रमाण के रूप में माना है । इसी खुदाई के कारण उन्हें पूरे विश्व में ख्याति मिली । वर्ष २००८ में उनकी पुस्तक ‘राम, उसकी ऐतिहासिकता, मंदिर एवं सेतु : साहित्य, पुरातत्व एवं अन्य शास्त्रीय प्रमाण’ प्रकाशित हुई । उसमें भी उन्होंने प्रमाण दिए हैं कि किस प्रकार पहले बाबरी के स्थान पर हिन्दू मंदिर था । उन्हें वर्ष २००० में ‘पद्मभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।