स्‍त्रीवादी संगठनों ने महिला सशक्तिकरण के नाम पर हिन्दू समाज को विभाजित किया ! – प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर, संपादिका, ‘मानुषी’, देहली

‘स्‍त्रीवादी स्‍वयंसेवी संगठनों ने समाजसेवा के मुखौटे लगाकर स्वयं को चाहिए वैसे कानून पारित करवा लिए । प्रसारमाध्‍यम, न्‍यायव्‍यवस्‍था, नौकरशाही ये सभी इन स्‍त्रीवादी कहलानेवालों की कठपुतलियां हैं । इन स्‍त्रीवादी संगठनों ने महिला सशक्तिकरण, गरीबों को शिक्षा, अनुसूचित जाति-जनजाति को न्‍याय जैसे नाम पर हिन्दू समाज विभाजित किया ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का पांचवां दिन (२८ जून) : उद्बोधन सत्र – मंदिरों की रक्षा हेतु न्यायालयीन प्रयास

प्राचीन काल में मंदिर केवल पूजा-पाठ के केंद्र नहीं थे, अपितु सर्वांगीण विकास के केंद्र थे । स्वतंत्रता संग्राम में मंदिर स्वतंत्रतासेनानियों के लिए शक्तिकेंद्र बने थे । उसके उपरांत मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना अल्प हुआ ।

हिन्दुओं के विरुद्ध वैचारिक युद्ध जीतने के लिए अधिवक्ताओं का ‘इकोसिस्टम’ आवश्यक है !  – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू राष्‍ट्र के लिए प्रत्‍यक्ष लडाई में हमारे जैसे सामान्‍य कार्यकर्ता सहभागी होंगे; परंतु आज विरोधकों ने वैचारिक युद्ध आरंभ किया है । उसे जीतने के लिए वैचारिक योद्धाओं की आवश्यकता है । ये वैचारिक योद्धा भारतीय कानून संबंधी जानकारी और संविधान के अंतर्गत व्यवस्थाओं का उचित अर्थ बताकर हिन्दुओं का पक्ष कानूनीदृष्टि से सक्षम बनानेवाले होंगे ।

भगवान के सान्निध्य में रहकर न्यायालयीन कार्य करना चाहिए ! – अधिवक्‍ता कृष्‍णमूर्ती पी., जिलाध्यक्ष, विश्‍व हिन्दू परिषद, कोडागु, कर्नाटक

‘मैं वाहन से प्रवास करते समय अथवा न्यायालय में भी नामजप करता हूं । भगवान पर हमारी इतनी श्रद्धा होनी चाहिए कि यदि हम पर कोई संकट आता है तो भगवान को हमारी सहायता करनी चाहिए । हमारे मालिक भगवान हैं । भगवान के भक्त को चिंता करने की आवश्यकता नहीं । 

हिन्दुओं के साधना और क्षात्रतेज त्याग देने से लव जिहाद जैसी घटनाओं में वृद्धि ! – यति मां चेतनानंद सरस्वतीजी, महंत, डासना पीठ, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश

स्वतंत्रताप्राप्ति के पश्चात भारत की कुछ हिन्दू स्त्रियां स्वेच्छा से अधर्मियों के साथ जा रही हैं । फिल्म जगत को इस्लामी देशों से हो रही आर्थिक आपूर्ति के परिणामस्वरूप ‘लव जिहाद’ का बीजारोपण किया जा रहा है ।

वैश्विक हिंदू राष्ट्र सम्मेलन का छठा दिन – सत्र का विषय : न्यायिक कार्य एवं अधिवक्ताओं का संघर्ष

सभी जिहादों में सबसे भयानक ‘भूमि जिहाद’ है, तथा सभी जिहाद इसी जिहाद से संबंधित हैं । इसके अंतर्गत वे मुख्यतः सरकारी भूमि को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास करते हैं ।

भारतीय ज्ञान पर आधारित पश्चिमी वैज्ञानिक प्रगति ! – डॉ. नीलेश ओक, यूएसए

अमेरिका में इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड साइंसेज में कार्यरत डॉ. नीलेश ओक ने कहा कि ‘‘पश्चिमी लोगों ने भारत के समृद्ध ग्रंथों का अनुवाद करके ही विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की है ।’’ वे ‘विश्वगुरु भारत की बलस्थान : सनातन हिन्दू धर्म’ विषय पर बोल रहे थे ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के कुछ क्षणमोती !

भारत हिन्दू राष्ट्र हमारा ।
सभी भारतीय वह एक परिवार  ।।

‘जयतु जयतु हिन्‍दुराष्‍ट्रम्’ के उद्घोष में वैश्विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव का  प्रारंभ !

‘जयतु जयतु हिन्‍दुराष्‍ट्रम्’ के उत्‍साहवर्धक जयघोष एवं संत-महंतों की वंदनीय उपस्थिति में रामनाथी, फोंडा स्थित श्री रामनाथ देवस्‍थान में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित वैश्विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव का अर्थात ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ का प्रारंभ हुआ ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव सातवां दिन (३० जून) – उद़्‍बोधन सत्र : हिन्दुत्‍व की रक्षा

भाग्‍यनगर (हैदराबाद) में प्रतिवर्ष गणेशविसर्जन के समय मुसलमान दंगा करवाते थे l एक वर्ष हिन्दुओं ने निर्धार कर उनपर प्रतिप्रहार किया l तबसे वहां के दंगे बंद हो गए l यदि हिन्दुओं ने प्रतिप्रहार करना चालू किया तभी हिन्दू समाज की रक्षा हो सकती है l