रामनाथी, गोवा स्थित सनातन आश्रम, साथ ही गोवा, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्य में रोपण सेवा हेतु मानव संसाधन की आवश्यकता !

सनातन के रामनाथी आश्रम परिसर में विविध औषधीय वनस्पतियां, फल, फूल इत्यादि का बडी मात्रा में रोपण किया गया है ।

नागपंचमी

सर्पयज्ञ करनेवाले जनमेजय राजा को आस्तिक नामक ऋषि ने प्रसन्न कर लिया था । जनमेजय ने जब उनसे वर मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने सर्पयज्ञ रोकने का वर मांगा एवं जिस दिन जनमेजय ने सर्पयज्ञ रोका, उस दिन पंचमी थी ।

देहली में हुए दंगे के समय मुसलमान महिलाओं को दिए गए निर्देश !

जनवरी एवं फरवरी २०२१ की अवधि में देहली नगर में ‘सीएए’ कानून के विरुद्ध मुसलमानों ने दंगा भडकाया । यह दंगा तो एक योजनाबद्ध षड्यंत्र था ।

मेजर ध्यानचंद ने १५ अगस्त १९३६ में तानाशाह हिटलर के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए उत्तर दिया – ‘भारत बिक्री के लिए नहीं है’

स्वतंत्रता के पूर्व ही प्रत्येक भारतीय को गर्व प्रतीत हो, ऐसी घटना १५ अगस्त १९३६ को हुई थी । इस दिन ‘हॉकी के जादूगर’ नाम से पहचाने जानेवाले भारतीय हॉकी खिलाडी मेजर ध्यानचंद ने जर्मनी के तानाशाह हिटलर का एक प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था ।

सर्वोत्तम शिक्षा क्या है ?

शिक्षा वही पूर्ण एवं सर्वोत्कृष्ट कहलाएगी जो मनुष्य के कुशलतापूर्वक निर्धारित, ध्येय पदार्थों को प्राप्त कराने का साधन हो ।

प्रारब्ध

अध्यात्म विषयक बोधप्रद ज्ञानामृत’ लेखमाला से भक्त, संत तथा ईश्‍वर, अध्यात्म एवं अध्यात्मशास्त्र तथा चार पुरुषार्थ ऐसे विविध विषयों पर प्रश्‍नोत्तर के माध्यम से पू. अनंत आठवलेजी ने सरल भाषा में उजागर किया हुआ ज्ञान यहां दे रहे हैं ।

वाराणसी के प्रसिद्ध श्री अन्नपूर्णामाता मंदिर के महंत रामेश्‍वरपुरीजी का देहत्याग !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के प्रसिद्ध श्री अन्नपूर्णामाता मंदिर के महंत रामेश्‍वर पुरीजी ने ११ जुलाई को देहत्याग किया । कुछ दिनों से लक्ष्मणपुरी के मेदांता चिकित्सालय में उन पर उपचार चल रहे थे ।

सनातन के ४७ वें संत पू. रघुनाथ राणेजी (आयु ८२ वर्ष) का ठाणे में देहत्याग !

मूलतः सिंधुदुर्ग जिले में स्थित ओझरम गांव के निवासी तथा वर्तमान में ठाणे में वास्तव्य करनेवाले सनातन के ४७ वें संत पू. रघुनाथ वामन राणेजी (पू. राणेजी) (आयु ८२ वर्ष) ने ११ जुलाई २०२१ को उत्तररात्रि २ बजे ठाणे के रुग्णालय में देहत्याग किया ।

गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में अधिकाधिक सेवा कर हम गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रचारक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘गुरुपूर्णिमा शिष्यों एवं साधकों के जीवन का सबसे बडा उत्सव है । इस उपलक्ष्य में हम तन, मन एवं धन का त्याग और गुरुसेवा कर गुरुदेवजी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं ।

गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हिन्दू-राष्ट्र स्थापना हेतु सक्रिय होने का निश्‍चय करें ! – सद्गुरु डॉ. पिंगळे

शिष्य की आध्यात्मिक उन्नति के साथ धर्मसंस्थापना करना, यह गुरु परंपरा का कार्य रहा है । वर्तमान समय में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना, यह धर्मसंस्थापना का ही कार्य है ।