जिहादी आतंकवादी संगठन ‘तालिबान’ का इतिहास

     वर्तमान में तालिबान ने अफगानिस्तान के (राजधानी काबुल सहित) संपूर्ण भूभाग पर नियंत्रण प्राप्त किया है । अब उस भूमि पर शरियत कानून के अनुसार कामकाज चालू हुआ है । ऐसा दूसरी बार हुआ है कि एक पूरे देश को आतंकवादी संगठन ने अपने नियंत्रण में लिया है । इसके पहले भी अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण था । इस आतंकवादी संगठन का इतिहास देखेंगे ।

१. तालिबान एक सुन्नी इस्लामी आंदोलन था । उसका आरंभ वर्ष १९९४ में दक्षिण अफगानिस्तान में हुआ । मूल अरबी शब्द ‘तालिब’ से ‘तालिबान’ शब्द बना है । ‘तालिब’ का अर्थ है ‘ज्ञान प्राप्त करने की अपेक्षा और इस्लामी कट्टरतावाद पर विश्वास रखनेवाला विद्यार्थी ।’ ‘तालिब’ का अनेकवचन है ‘तालिबान’। ‘तालिबान’ का अर्थ ‘मांगनेवाला’ भी होता है । ‘तालिबान एक राजनीतिक आंदोलन है’, ऐसा बताए जाने के कारण उसकी सदस्यता पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मदरसों में पढनेवाले विद्यार्थियों को दी जाती है । आरंभ में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन और मदरसों की सहायता से आतंकवादी संगठन तालिबान शक्तिशाली होता गया । इस उद्देश्य के लिए उसे सऊदी अरब से सर्वाधिक पैसे प्राप्त होते थे । वर्ष १९९६ से २००१ तक अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था, तब तालिबान का प्रमुख मुल्ला उमर था । उसने स्वयं को ‘हेड ऑफ सुप्रिम काउंसिल’ (सर्वोच्च परिषद का अध्यक्ष) घोषित किया था । तालिबान आंदोलन को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमिरात और पाकिस्तान, इन इस्लामी देशों ने मान्यता दी है ।

२. १९९० के दशक में उत्तर पाकिस्तान में तालिबान अधिक शक्तिशाली हुआ । उस समय अफगानिस्तान से सोवियत संघ की सेना वापस जा रही थी । तब वहां अनेक गुटों में संघर्ष आरंभ हुआ । ऐसे में तालिबान का वहां प्रवेश होने पर अफगानी लोगों ने उनका स्वागत किया । तालिबान ने सर्वप्रथम अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार पर रोक लगाई, साथ ही अस्थिर स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त किया । तालिबान के नियंत्रण का भाग लोगों के लिए सुरक्षित होने पर वहां उद्योग व्यवसाय आरंभ हो गए ।

३. सितंबर १९९५ में तालिबान ने ईरान की सीमा पर स्थित हेरात प्रांत पर नियंत्रण प्राप्त किया । तदुपरांत अफगानिस्तान की बुरहानुद्दीन रब्बानी सरकार को सत्ताच्युत कर राजधानी काबुल पर नियंत्रण प्राप्त किया । वर्ष १९९८ तक तालिबान ने अफगानिस्तान के ९० प्रतिशत भूभाग पर नियंत्रण प्राप्त किया था ।

४. अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता प्रस्थापित होने पर वहां शरियत कानून लागू किया गया । इन कानूनों के अनुसार अपराधों के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर फांसी देना, चोरी करनेवाले के हाथ और पैर तोड देना इत्यादि दंड दिए जाने लगे ।

५. पुरुषों को दाढी रखने का और महिलाओं को बुरका पहनने का आदेश दिया गया । १० वर्ष से अधिक आयु की लडकियों को विद्यालय में जाने पर प्रतिबंध लगाया गया । दूरदर्शन, चलचित्र और संगीत पर भी बंदी लगाई गई ।

६. अफगानिस्तान में बामियान स्थित बौद्धों की मूर्ति तोप के गोले दागकर फोडी गई ।

७. २४ दिसंबर १९९९ को भारत की ‘इंडियन एयरलाइन्स’ के विमान को जिहादी आतंकवादी अपहरण कर अफगानिस्तान के कंधार में ले गए थे । उसे तालिबान सरकार द्वारा सुरक्षा दी गई ।

८. अल् कायदा के आतंकवादियों ने वर्ष २००१ में अमेरिका पर विमानों द्वारा किए आक्रमणों के उपरांत अमेरिका ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया । तालिबान पर अल् कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को आश्रय देने का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने यह आक्रमण किया और अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता समाप्त हुई ।

९. विगत २० वर्षाें से अफगानिस्तान में अमेरिका की सेना थी । इस कालावधि में अफगानी नागरिकों की सरकार स्थापित की गई । तब भी अमेरिका अफगानिस्तान से तालिबान को पूर्णत: समाप्त नहीं कर पाई ।

१०. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार थी, तब उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिका की सेना वापस बुलाने की घोषणा की थी । तदनुसार अमेरिका की सेना वापस जाते हुए तालिबान ने पुन: अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त किया ।

(संदर्भ : सामाजिक माध्यम)