कलियुग में स्वभावदोष निर्मूलन सभी प्रकार की साधनाओं का मूलाधार !
वर्तमान कलियुग में अधिकांश लोग रज-तम प्रधान होने के कारण उनमें स्वभावदोष और अहं की तीव्रता अधिक है । इसलिए नामजप करना उन्हें कठिन होता है ।
वर्तमान कलियुग में अधिकांश लोग रज-तम प्रधान होने के कारण उनमें स्वभावदोष और अहं की तीव्रता अधिक है । इसलिए नामजप करना उन्हें कठिन होता है ।
जो धर्म व धर्मसंस्थापना के लिए कार्य करते हैं, उन्हें कष्ट सहने ही पडते हैं । प्रभु श्रीराम को भी वनवास हुआ, पांडवों को भी दु:ख भोगने पडे, तब भी उन्होंने धर्मसंस्थापना का कार्य पूर्ण किया ।
हिन्दू धर्म में ‘पितृऋण’ से मुक्त होने के लिए श्राद्धविधि करने का विशेष महत्त्व बताया गया है; परंतु समाज को श्राद्ध करने का महत्त्व और उस विषय के धर्मशास्त्र का ज्ञान न होने से श्राद्ध के विषय में अनेक भ्रांतियां फैली हुई हैं ।
श्री. प्रभाकर पिंगळे मूलत: खामगांव (जिला बुलढाणा) गांव के निवासी थे । उनके पुत्र सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, बहू डॉ. (श्रीमती) मधुवंती पिंगळे, पोती श्रीमती वैदेही गौडा और पोती के पति श्री. गुरुप्रसाद गौडा पूर्णकालीन साधक हैं ।
Download आश्विन शुक्ल ११ से कार्तिक कृष्ण १० (१६ से ३१ अक्टूबर २०२१)
Download आश्विन कृष्ण १० – आश्विन शुक्ल १० (१ से १५ अक्टूबर २०२१)
भारत में, मस्जिदों में नमाज पढने वाले लोगों पर गोलीबारी नहीं की जाती तथा न ही उन पर बम द्वारा आक्रमण किया जाता है । यहां लडकियों को न पाठशाला जाने से रोका जाता है एवं न ही उनके सिर तथा पैर काटे जाते हैं ।
गाय की रक्षा करने का कार्य किसी एक धर्म अथवा पंथ का नहीं है, अपितु गाय भारतीय संस्कृति है । देश में रहनेवाले प्रत्येक नागरिक को, चाहे वह किसी भी धर्म का हो; उसे इस संस्कृति को बचाने का काम करना चाहिए ।
यदि ऐसा है, तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड संपूर्ण देश के लिए कानून बनाने की मांग क्यों नहीं करते ?
अफगानिस्तान में तालिबानी अर्थात जिहादी राज्य लागू हुआ है । वर्तमान काल में अफगानिस्तान का प्रत्येक घटनाक्रम भारत की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि उसका सीधा परिणाम भारत पर होगा ।