हिन्दू समाज को स्वयं का अस्तित्व टिकाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र के आंदोलन को प्रखर बनाना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

अनुच्छेद ३७० के हटने के उपरांत भी कश्मीर में हिन्दुओं की लक्ष्यित हत्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं । ऐसी स्थिति में हिन्दू समाज को स्वयं का अस्तित्व टिकाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र के आंदोलन को प्रखर बनाना आवश्यक है ।

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का नेपाल भ्रमण

सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी के पास प्रचंड ज्ञान है; इसलिए मैं अनेक दिनों तक उनके साथ भेंटवार्ता कर सकता हूं ! – सुवास आगम, निदेशक, ‘स्वधर्म टीवी’

हिन्दुओं की संपत्ति हडपने के असीमित अधिकार प्राप्त ‘वक्फ एक्ट’ को निरस्त करें – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

देहली (दिल्ली) में जंतरमंतर में हिन्दू राष्ट्र-जागृति आंदोलन में की गई मांग !

काठमांडु ‘शान्ति सेवा आश्रम’ के स्थापना दिवसमहोत्सव में सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का मार्गदर्शन

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्र्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ.चारुदत्त पिंगळेजी के नेपाल दौरे का संक्षिप्त वृत्तांत

जागृत हिन्दू अन्य हिन्दुओं को भी हिन्दू राष्ट्र के विषय में जागृत करें ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

साधना एवं धर्मपालन करनेवाले, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म के लिए क्रियाशील हिन्दुओं की आज आवश्यकता है । धर्म एवं अधर्म की लडाई में हम धर्म को जानकर आगे बढें, तो हमारी विजय निश्चित है ।

दुर्गुण एवं अहंकार का त्याग और सद्गुणों का संवर्धन, मनःशांति की कुंजी है ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

खरपतवार को उगाने के लिए कुछ मेहनत नहीं करनी पडती; पर बगीचे के लिए हमें मेहनत और योजना दोनों की आवश्यकता होती है । इसलिए जीवन में तनाव दूर कर शांति प्राप्त करने के लिए गुणों के संवर्धन से दोष और अहंकार के खरपतवार को निकालें ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए युवक हनुमानजी के गुण धारण करें ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

हनुमानजी रामभक्तों के आगे हाथ जोडकर विनम्र रहते थे और असुरों के समक्ष उनका महाबली रूप प्रकट हो जाता था । वर्तमान समय में हनुमानजी की उपासना करते समय हमें हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए उनके गुणों को भी धारण करना होगा ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के अमृतवचन !

‘जब (खेत में) नदी का पानी आता है, तब उसे पाट बनाकर दिशा देनी पडती है; अन्यथा वह समस्त (खेत) नष्ट कर देता है । उसीप्रकार मन में आ रहे विचारों को दिशा देनी पडती है ।

हिन्दू राष्ट्र स्थापना का कार्य स्वयं का है; इसलिए उसमें आगे बढकर कार्य करना चाहिए !

सनातन धर्मग्रंथों में राजधर्म बताया गया है । वहां धर्म की सीमा के बाहर राजनीति नहीं है । धर्म की सीमा से बाहर यदि राजनीति हो, तो उसका नाम ‘उन्माद’ है, जब तक भारत में धर्माधारित राजपद्धति अपनाई नहीं जाएगी, तबतक गायें, गंगा, सती, वेद, सत्यवादी, दानशूर आदि का संपूर्ण संरक्षण नहीं हो सकता ।

सनातन संस्था द्वारा संपूर्ण देश में १५३ स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ संपन्न !

माया के भवसागर से शिष्य और भक्त को धीरे से बाहर निकालनेवाले, उनसे आवश्यक साधना करवानेवाले और कठिन समय में उन्हें निरपेक्ष प्रेम का आधार देकर संकटमुक्त करानेवाले गुरु ही होते हैं । ऐसे परमपूजनीय गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है ‘गुरुपूर्णिमा’ !