वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह ने समिति के विषय में व्यक्त किए गौरवद्गार‘‘हिन्दू जनजागृति समिति हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का लक्ष्य सामने रखकर संपूर्ण भारत में प्रभावशाली कार्य कर रही है, विशेषकर आध्यात्मिक स्तर पर राष्ट्र एवं धर्म का कार्य करनेवाला यह एकमात्र संगठन है ।’’ |
देहली – हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘‘आज हम हिन्दू राष्ट्र एवं हिन्दू जगत का विचार करने के लिए एकत्रित हुए हैं । वैश्विक परिस्थिति, व्यवस्था, समस्याएं एवं उनके समाधान की चर्चा करते समय हमें धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर चिंतन करना आवश्यक है ।’’ समस्याओं के मूल के विषय में बोलते हुए सदगुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा कि ‘‘आज के इस लोकतांत्रिक शासन में अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा ही नहीं की गई है । जब अनेक देशों के संविधान पढकर भारतीय संविधान बनाया है, तो संयुक्त राष्ट्र संघ के (UN) अनुसार भारत में भी अल्पसंख्यकों को २ प्रतिशत का मानांकन निश्चित किया जाना चाहिए ।’’ यहां के कौंस्टिट्यूशन क्लब में आयोजित वैश्विक हिन्दू परिषद में संबोधित करते हुए सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ऐसा बोल रहे थे ।
इस परिषद में १८ देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया । विश्व हिन्दू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूपजी ने ‘इमर्जिंग ऑफ हिन्दू राष्ट्र’ विषय पर, ‘हिन्दू एडवोकेसी’ विषय पर त्रिनिदाद एवं टोबैगो के राजदूत डॉ. गोपाल ने विषय पर अपना संबोधन दिया ।
‘‘इंडोनेशिया के बाली प्रांत की जनसंख्या अब ९० लाख से एक करोड दस लाख तक पहुंच गई है, वहां अन्य देशों में रह रहे हिन्दुओं की संख्या निरंतर घटती जा रही है । त्रिनिदाद एवं टोबैगो से आए पूर्व उपप्रधानमंत्री डॉ. चंद्रेश शर्मा ने कहा कि ‘‘त्रिनिदाद एवं टोबैगो में सौ से अधिक मंदिर, ५० से अधिक हिन्दू विद्यालय तथा कैरेबियन देशों में से सबसे बडी हनुमानजी की मूर्ति है ।’’ नेपाल की स्वामी हेमानंद गिरीमाता इस कार्यक्रम की प्रमुख अतिथि थीं ।
अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह ने कहा कि ‘‘हम हिन्दू संगठनों के शिखर संगठन हैं । हम उनकी छत्रछायावाला संगठन होने के कारण पूरे विश्व में हिन्दुओं की एकता के लिए प्रयासरत हैं । हिन्दुओं को एकजुट होकर विश्व के सभी हिन्दुओं के चारों ओर एक शक्तिशाली घेरा बनाना होगा, जिसमें अन्य किसी भी धर्म की घुसपैठ नहीं होगी तथा अन्य पंथीय हिन्दुओं का धर्मांतरण नहीं कर पाएंगे ।