सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के अमृतवचन !

‘जब (खेत में) नदी का पानी आता है, तब उसे पाट बनाकर दिशा देनी पडती है; अन्यथा वह समस्त (खेत) नष्ट कर देता है । उसीप्रकार मन में आ रहे विचारों को दिशा देनी पडती है ।

हिन्दू राष्ट्र स्थापना का कार्य स्वयं का है; इसलिए उसमें आगे बढकर कार्य करना चाहिए !

सनातन धर्मग्रंथों में राजधर्म बताया गया है । वहां धर्म की सीमा के बाहर राजनीति नहीं है । धर्म की सीमा से बाहर यदि राजनीति हो, तो उसका नाम ‘उन्माद’ है, जब तक भारत में धर्माधारित राजपद्धति अपनाई नहीं जाएगी, तबतक गायें, गंगा, सती, वेद, सत्यवादी, दानशूर आदि का संपूर्ण संरक्षण नहीं हो सकता ।

सनातन संस्था द्वारा संपूर्ण देश में १५३ स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ संपन्न !

माया के भवसागर से शिष्य और भक्त को धीरे से बाहर निकालनेवाले, उनसे आवश्यक साधना करवानेवाले और कठिन समय में उन्हें निरपेक्ष प्रेम का आधार देकर संकटमुक्त करानेवाले गुरु ही होते हैं । ऐसे परमपूजनीय गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है ‘गुरुपूर्णिमा’ !

‘कश्मीर से कन्याकुमारी’, ‘कच्छ से कामरूप’ ऐसा ‘आसेतु हिमालय’ एवं सिंधु से सेतुबंध’ तक हिन्दू राष्ट्र स्थापित करना है !

अगले २-३ वर्ष हिन्दू राष्ट्र की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । इसके लिए हमें निरंतर हिन्दू राष्ट्र की मांग करते रहना होगा । इस दृष्टि से ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ महत्त्वपूर्ण है । यह कार्य करते समय कालमहिमा के अनुसार वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है, इसके प्रति आश्वस्त रहिए !

‘सादगीपूर्ण जीवनशैली और उच्च विचारधारा की प्रतीति : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

किसी कागद की छायांकित प्रति निकालने पर उसमें यदि २-४ सें.मी. का निचला भाग कोरा हो, तो वे उतना कागद लेखन के लिए निकाल लेते हैं, साथ ही टिकट, डाक के पत्र का कोरा भाग काटकर उसपर भी लेखन करते हैं ।

भगवान शिव को प्रिय श्रावण मास में सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी एवं पू. मेनरायजी का जन्म होना…

सनातन के १४ वें संत सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का जन्मदिन श्रावण शुक्ल प्रतिपदा (२९ जुलाई २०२२) एवं ४६ वें संत पू. मेनरायजी का जन्मदिन श्रावण शुक्ल पंचमी (नागपंचमी, २ अगस्त २०२२) को है । जन्मदिन निमित्त सनातन परिवार की ओर से कोटि-कोटि प्रणाम !

वाराणसी में संस्कृत के विद्वान श्री. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर हुए जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त

मूल वाराणसी के धर्माभिमानी एवं संस्कृत भाषा एवं धर्मशास्त्र के गहन अध्ययनकर्ता श्री. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी (आयु ८० वर्ष) ने ९ जून २०२२ को ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करने की घोषणा, देहली में उनके निवासस्थान पर की गई । यह घोषणा सनातन के संत पू. संजीव कुमार ने की ।

पाठ्यपुस्तक में भारत के तेजस्वी इतिहास का समावेश करने का ठराव हिन्दू राष्ट्र संसद में एकमत से संमत !

मुगलों ने हिन्दुओं पर जो अत्याचार किए, उसका इतिहास विद्यालयीन पाठ्यक्रम में सिखाया जाना चाहिए । छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस प्रकार से अफजल खान का वध किया और शाहिस्ते खान की उंगलियां काट दीं, यह हिन्दुओं के पराक्रम का इतिहास युवा पीढी को सिखाया जाना चाहिए ।

वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र स्थापना होने हेतु आज से ही सक्रिय हों ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

वाराणसी के नंदी आज भी भगवान काशी विश्‍वेश्‍वर की ओर नहीं, अपितु ज्ञानव्यापी मस्जिद की ओर मुंह करके मूल मंदिर के भग्नावशेष देख रहे हैं ! वर्तमान में काशी-मथुरा, कुतुबमिनार, अजमेर में ‘ढाई दिन का झोपडा’ अर्थात ‘श्री सरस्वती मंदिर’, इन मंदिरों के विषय में आज चर्चा आरंभ हुई है; तब भी इनके अतिरिक्त १ सहस्र ५६० प्राचीन हिन्दू मंदिरों पर हुआ इस्लामी अतिक्रमण उसी स्थिति में हैं ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रधानता लेकर कार्य कीजिए !

आज जहां सर्वत्र वैचारिक स्तर पर ध्रुवीकरण होने के समय आप सभी हिन्दू राष्ट्र-स्थापना का प्रभावशाली पद्धति से प्रस्तुतिकरण करनेवाले अध्येता वक्ता बनिए, साथ ही लेखन, सामाजिक माध्यमों आदि के माध्यम से वैचारिक कार्य कीजिए, ऐसा आवाहन सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया ।