जयपुर के ‘ज्ञानम्’ महोत्सव में ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ परिसंवाद !
जयपुर (राजस्थान) – ‘‘भारत स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र है; परंतु विद्यमान व्यवस्था में उसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ के रूप में प्रतिष्ठा कहां है ? डॉक्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत एक व्यक्ति स्वाभाविक डॉक्टर बनता है; परंतु बिना अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) के वह ‘डॉक्टर’ के रूप में कार्य नहीं कर सकता । ठीक उसी प्रकार यदि संविधान द्वारा भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया, तो भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ नहीं कह सकते । इसके लिए जनजागृति, जनप्रतिनिधियों का प्रबोधन एवं न्यायालयीन लडाई, इस प्रकार सभी मार्गाें से संघर्ष कर भारत को संविधान द्वारा हिन्दू राष्ट्र घोषित करना आवश्यक है’’, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु पिंगळेजी ने ऐसे विचार व्यक्त किए । वे यहां आयोजित ‘ज्ञानम्’ महोत्सव में ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ परिसंवाद में प्रमुख वक्ता के रूप में बोल रहे थे । परिसंवाद का संचालन पत्रकार एवं हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने किया ।
हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रत्येक व्यक्ति रामवादी हो ! – भूतपूर्व सांसद ज्ञानदेव आहुजा
इस समय प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राजस्थान के भूतपूर्व सांसद श्री. ज्ञानदेव आहुजा ने कहा कि ‘‘हिन्दू राष्ट्र अर्थात रामराज्य । हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक को स्वयं ‘रामवादी’ बनना होगा । रामवाद अर्थात भारतीय संस्कृति का परंपरावाद !’’
‘धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था से हानि’ के विषय में कथन करते समय सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा, ‘‘भारतीय संविधान में अनुच्छेद २८ द्वारा हिन्दुओं को पाठशाला एवं महाविद्यालयों से धर्मशिक्षा देने पर प्रतिबंध लगाया गया; जबकि अनुच्छेद ३० में अल्पसंख्यकों को संविधानात्मक सुरक्षा प्रदान कर शिक्षासंस्था द्वारा धार्मिक शिक्षा प्रदान करने की अनुमति दी गई है । इससे जिस हिन्दू व्यक्ति की शिक्षा पूर्ण हो गई है, वह हिन्दू नास्तिकतावादी बनता है, जबकि अल्पसंख्यक व्यक्ति श्रद्धालु मुसलमान अथवा ईसाई बनता है । इसलिए भारतीय संविधान में सुधार होना आवश्यक है ।