बिहार में प्रिया दास नामक युवती ने चूल्हे पर मनुस्मृति जलाकर उससे जलाई सिगरेट !
मनुस्मृति जलाना अब ‘ फैशन ’ हो गया है; लेकिन ऐसे लोगों को यह ध्यान में नही आता कि, ‘कोई भी ग्रंथ जलाने से उसके विचार नष्ट नहीं होते’ !
मनुस्मृति जलाना अब ‘ फैशन ’ हो गया है; लेकिन ऐसे लोगों को यह ध्यान में नही आता कि, ‘कोई भी ग्रंथ जलाने से उसके विचार नष्ट नहीं होते’ !
यदि हिन्दू त्योहारों पर बंदी लगाई तो अन्य धर्मियों के त्योहारों पर भी रोक लगानी होगी ! जब विश्वविद्यालय के नाम में ही ‘हिन्दू’ शब्द है, तब इसके विपरीत वर्तन का विरोध होगा ही !
कांग्रेस का राज्य अर्थात पाकिस्तानी राजसत्ता ! राजस्थान में हिन्दू और कितने दिनों तक कांग्रेस को राज करने देंगे ? क्या अन्य धर्मियों के त्योहारों के समय कभी इस प्रकार प्रतिबंध लगाया जाता है ?
छत्रपति संभाजी महाराज की अत्यंत बर्बरता से हत्या करनेवाला, लाखों हिन्दुओं की निर्मम हत्या का अपराधी तथा हजारों मंदिरों का विध्वंस करनेवाला औरंगजेब, इस इम्तियाज जलील को कितना ‘प्रिय’ है, यह इस अनशन से स्पष्ट हो गया है ।
आई.आर.एस. (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी रेश्मा लखानी ने यहां के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में बलपूर्वक प्रवेश किया ।
मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! इससे ‘सरकारी विश्वस्तों की केवल मंदिर के पैसों पर ही नहीं, अपितु श्रद्धालुओं के पैसों पर भी दृष्टि गढी होती है’, ऐसा किसी को लगे तो इसमें गलत क्या है ?
हिन्दुओं, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रहते हिन्दू धर्म पर आघात करनेवाले आरोपियों पर कदापि कार्रवाई नहीं होगी, इस बात से निश्चिंत रहें तथा ऐसी कांग्रेस को राजनीतिक दृष्टि से समाप्त करने के लिए हिन्दू एकता की शक्ति (वज्र) तैयार करें !
आतंकवादी कार्यवाहियां करनेवालों का एकमात्र एजेंडा है, भारत का इस्लामीकरण । इस एजेंडा को पाकिस्तान के प्रशिक्षित आतंकवादी भारत में चला रहे हैं । आश्चर्य की बात तो यह है कि यही एजेंडा देश में लोकतांत्रिक मार्ग तथा शासकीय धनराशि द्वारा कानून की चौखट में रहते हुए चलाया जा रहा है ।
जब कोई सरकारी प्रतिष्ठान पर हिन्दू देवताओं के प्रति आदर भाव से कार्य करता है, तभी दिखावटी धर्मनिरपेक्षता’ का स्मरण करने वालों को, उस समय धर्मनिरपेक्षता का स्मरण नहीं होता जब सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया जाता है तथा मस्जिदें बनवाई जाती हैं ?
जमियत-उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने वक्तव्य दिया है ‘सम्मेलन में जो कुछ हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ । हमें खंत एवं दुःख हुआ है । हमें विश्वास है कि हमारी किसी बात से किसी की भी भावनाएं आहत न हों; परंतु यदि ऐसा हुआ है, तो हम १०० बार क्षमा मांगते हैं’ ।