लोकतंत्र की आड में इस्लामीकरण

पी. वी. नरसिंहराव द्वारा वक्फ बोर्ड को अधिकार देना एवं १३ वर्षाेंमें बोर्ड द्वारा दुगुनी भूमी प्राप्त करना !

आतंकवादी कार्यवाहियां करनेवालों का एकमात्र एजेंडा है, भारत का इस्लामीकरण । इस एजेंडा को पाकिस्तान के प्रशिक्षित आतंकवादी भारत में चला रहे हैं । आश्चर्य की बात तो यह है कि यही एजेंडा देश में लोकतांत्रिक मार्ग तथा शासकीय धनराशि द्वारा कानून की चौखट में रहते हुए चलाया जा रहा है । पिछले कई वर्षों से वक्फ बोर्ड के माध्यम से यह काम हो रहा है । भारत के साथ ३ बार युद्ध करेने के उपरांत भी पाकिस्तान को जो साध्य नहीं हुआ, वह कुछ वर्षाें में ही संविधान की चौखट में रहकर वक्फ बोर्ड ने साध्य किया है । पिछले कुछ वर्षाें में वक्फ बोर्ड ने सैंकडो ही नहीं, अपितु लाखों एकड भूमी अपने नियंत्रण में ली है तथा इसका इस्लाम के कार्य के लिए उपयोग किया जा रहा है । देश में भारतीय सेना की कुल भूमी १८ लाख एकड, रेल्वे की भूमी १४ एकड है । तत्पश्चात सर्वाधिक भूमी वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में है । ‘वक्फ मैनेजमेंट सिस्टिम ऑफ इंडिया’ के कहनेनुसार वर्तमान में वक्फ बोर्ड की ८ लाख ५४ सहस ५०९ एकड भूमी है । वर्ष २००९ में केंद्रीय वक्फ बोर्ड की भूमी केवल ४ लाख एकड थी । अगले १३ वर्षाें में वक्फ बोर्ड की भूमी दुगुनी हुई है । इससे ऐसा दिखाई देता है कि भारत को ‘इस्लामिक स्टेट’ बनाने की कार्यवाही में वक्फ बोर्ड पाकिस्तान से भी आगे है । इन बातों से किसी को भी लग सकता है कि, ‘वक्फ बोर्ड द्वारा भूमी हडपने तथा इस्लामीकरण का क्या संबंध है ?’ कई स्थानों पर अवैध रीति से कब्रस्तान, मस्जिदें इत्यादि का निर्माण किया गया तथा आसपास की भूमी पर दावा लगाते हुए वह भूमी भी वक्फ बोर्ड ने अपने नियंत्रण में ली । महाराष्ट्र के नाथपंथीय साधुओं का समाधीस्थान एवं ठाणे जनपद के हिन्दुओं का आस्थास्थान रहे पूरे श्रीक्षेत्र मलंगगढ पर वक्फ बोर्ड ने इसी प्रकार दावा किया है । यह बात यहीं तक सीमित नहीं रही । वक्फ बोर्ड ने ऐसा भी दावा किया है कि ठाणे जनपद के कल्याण में हिन्दवी स्वराज्य के नाविक दल के दुर्गाडी गढ पर स्थित श्री दुर्गादेवी का मंदिर भी मस्जिद ही है । महाराष्ट्र के अनेक शिवकालीन गढ-दुर्गाें पर इसी प्रकार से अवैध दरगाह, पीर, मस्जिदें निर्माण की गई हैं । इसमें आश्चर्य नहीं होगा कि भविष्य में वक्फ बोर्ड यह भी कह दे कि यहां की भूमी भी उनकी ही है ।

वक्फ बोर्ड किस प्रकार भय फैलाकर काम कर रहा है, इसका एक उदाहरण है । तमिलनाडु के त्रिची जनपद के तिरुचिरापल्ली में जहां ९५ प्रतिशत हिन्दू समाज एवं केवल २२ मुसलमान परिवार रहते हैं, वहां की ९० प्रतिशत भूमी पर वक्फ बोर्ड ने अपना अधिकार घोषित किया है । वक्फ बोर्ड केवल भूमी ही अधिग्रहित नहीं करता, अपितु इस कानून का भय दिखाकर हिन्दुओं का धर्मांतरण भी करता है । झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ आदि राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों में यह बात सामने आई है । भूमी हडपकर उसे इस्लाम के उपयोग में लाना हिन्दुओं के सामूहिक धर्मांतरण का प्रयत्न करना, क्या यह भारत को ‘इस्लामिक राष्ट्र’ बनाने का एजेंडा नहीं है ?

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वक्फ कानून : लोकतंत्र की हत्या !

वर्ष १९५० में भारत के तत्कालिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बातचीत कर निर्णय किया था कि, ‘विभाजन के समय पाक से जो हिन्दू भारत में आए तथा भारत के जो मुसलमान पाक गए, उनकी भूमी उनकी ही रहेगी’ । पाकिस्तान में रहनेवाले हिन्दुओं की भूमी मुसलमानों ने हडप ली; परंतु भारत के मुसलमानों की भूमी वक्फ बोर्ड के नामपर की गई । इस समय केंद्र सरकार की सहस्रो एकड भूमी वक्फ बोर्ड के पास चली गई । कांग्रेस सरकार ने वर्ष १९५४ में वक्फ बोर्ड की स्थापना की । वर्ष १९९५ में कांग्रेस ने इस बोर्ड को असीमित अधिकार प्रदान किए । जो भूमी वक्फ बोर्ड को पवित्र, धार्मिक तथा सामाजिक कार्य के लिए उचित लगेगी, उसे नियंत्रण में लेने के अधिकार दिए गए । इस कानून के अनुसार किसी की भी निजी भूमी पर नियंत्रण में लेने का अधिकार वक्फ बोर्ड को नहीं है । परंतु वह भूमी निजी है अथवा सार्वजनिक, यह प्रमाणित करने का दायित्व वक्फ बोर्ड का नहीं है । वक्फ बोर्ड कोई भूमी अपनाता है, तो भूमी के मालिक को प्रमाणित करना पडता है कि वह भूमी उसकी अपनी है । अत: जिसके पास दस्तावेज नहीं हैं, उसकी भूमी अपनेआप वक्फ बोर्ड की हुई । इन निरंकुश अधिकारों के कारण ही वक्फ बोर्ड ने आजतक अनेकों की भूमी हडप ली है । कई अभियोग अभीतक प्रलंबित हैं । ऐसे अभियोग भी वक्फ बोर्ड के वक्फ प्राधिकरण के सामने ही चलाने पडते हैं । सरकारीकरण हुए मंदिरों की समितियों में अन्य धर्मियों को नियुक्त करते समय लोकतंत्र की बाते होती हैं; परंतु वक्फ बोर्ड तथा प्राधिकरण में इस्लाम से परिचित मुसलमान व्यक्ति को ही चुना जाता है । इसमें लोकतंत्र का गला घोंटने की बात किसी को दिखती नहीं है । मुसलमानों का तुष्टीकरण करने के लिए कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड को अनियंत्रित अधिकार दिए तथा बहुसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों का हनन किया ।

कांग्रेस हिन्दू राष्ट्र की मांग को लोकतंत्रविरोधी कहता है; परंतु पहले यह ध्यान में रखना चाहिए कि उसी कांग्रेस ने लोकतंत्र की आड में भारत के इस्लामीकरण का एजेंडा चलाया । भारत के इस्लामीकरण की घोषणा जिहादी सार्वजनिक रुप से करते हैं । परंतु कांग्रेस ने भारत के इस्लामीकरण की योजना को अल्पसंख्यक आयोग, सच्चर समिति, प्रार्थनास्थल कानून, वक्फ बोर्ड इत्यादि के माध्यम से संवैधानिक ठहराया । अत: मोदी सरकार को निर्णय करना होगा की भारत को इस्लामीकरण की ओर ले जानेवाले कानूनों को और कितने दिनोंतक रखेंगे । भारत को इस्लामी देश बनाने के लिए कांग्रेस ने लोकतंत्र की सहायता ली, ऐसे में यदि कोई देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए कानून बनाता है, तो क्या किसी को आक्षेप होना चाहिए ?

‘वक्फ कानून’ कांग्रेस द्वारा लोकतंत्र की आड में बनाया भारत के इस्लामीकरण का एजेंडा !