११ अमेरिकी सांसदों द्वारा पाकिस्तान को वित्तीय सहायता रोकने की मांग !
भारत के कितने हिन्दू प्रतिनिधि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाते हैं ?
भारत के कितने हिन्दू प्रतिनिधि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाते हैं ?
अनेक शताब्दियों के पहले अथवा कुछ वर्ष पहले जिन्हें बल, लालच अथवा अन्य कारणों से हिन्दू धर्म का त्याग करना पडा और अब यदि वे हिन्दू धर्म में आना चाहते होंगे, तो ऐसे लोगों के लिए सरकार को ही आगे बढना चाहिए !
जनसामान्य का विचार है कि माननीय न्यायालय को मात्र फटकार लगाकर, निंद्य कृति करने वालों इस प्रकार छोडना नहीं चाहिए, बल्कि संबंधित पुलिस के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने और आरोपियों को बंदी बनाने का आदेश भी देना चाहिए !
बहुसंख्य हिन्दुओं के देश में उनका ही धर्मांतरण करने के प्रयास के कार्यक्रम को सरकार अनुमति देती है, इससे अधिक शोकजन्य क्या होगा ? इस हेतु हिन्दुओं के हित की रक्षा कर सकने वाले हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता है, यह समझें !
‘चर्च अर्थात लैंगिक शोषण का स्थान’ और ‘पादरी अर्थात वासनांध व्यक्ति’, ऐसी प्रतिमा किसी के मन में निर्माण हो रही हो, तो इसमें गलत क्या है ? ऐसी घटनाओं के विरोध में जगभर के ईसाई खुले आम विरोध करते हुए क्यों नहीं दिखाई देते ?
लेबनान यह मध्य पूर्व का एक मुसलमान बाहुल्य देश है । वहां ईसाइयों की जनसंख्या ३२% है । इस देश की हनीन नाम की एक ईसाई महिला तमिलनाडु के कोयंबटूर में ‘ईशा योग केंद्र’ के मां लिंग भैरवी मंदिर की पुजारिन बनी है ।
आज भी एक ओर विश्व को ईसामय बनाने का षड्यंत्र सर्वत्र जोर-शोर से चल रहा है, तो दूसरी ओर ‘गजवा-ए-हिन्द’ आदि विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विश्व को इस्लाममय बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं । इस वैश्विक परिस्थिति में हिन्दू विचारक, अध्येता स्वबोध एवं शत्रुबोध इन संज्ञाओं के प्रचलन के द्वारा हिन्दू समाज में जनजागरण का अभियान चला रहे हैं
हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता क्यों है ?, हिन्दुओं को कब ध्यान में आएगा कि ऐसी घटनाएं निरंतर यही दर्शा रही हैं ?
मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य को लेकर अब ‘वे हिन्दू मैतेइयों का समर्थन कर रहे है’, हिन्दूद्वेषी कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी अथवा राहुल गांधी यदि ऐसा कहने लगे, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए !
भारत में सामाजिक माध्यमों द्वारा ऐसी घटनाओं को दबा दिया जाता है, क्योंकि वे स्वयं को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं और उनकी दृष्टि में पादरी सभ्य गृहस्थ होते हैं !