विदेशों में हिन्दुओं की दयनीय स्थिति तथा बढता धर्मांतरण !

२४ जून २०२४ से श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा में हुए ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के उपलक्ष्य में …

१. ‘हिन्दू धर्म एक जीवनशैली है’, यह संकल्पना ही हानिकारक है !

हमारे यहां कुछ लोग कहते हैं कि ‘हिन्दू एक जीवनशैली है ।’ कभी-कभी यह संकल्पना हमारे लिए हानिकारक सिद्ध होती है । संपूर्ण यूरोप में हिन्दू धर्म को ‘धर्म’ नहीं माना जाता । यूरोप के एक अथवा दो देशों ने हिन्दू धर्म को मान्यता दी है । उनके अनुसार ‘हिन्दू’ अर्थात ‘जीवन जीने की शैली ।’ इसलिए वहां किसी भी हिन्दू विद्यालय का पंजीकरण नहीं हुआ है । वहां की सरकारों से हिन्दुओं को किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं मिलतीं । हमारे एक भी हिन्दू मंदिर का वहां पंजीकरण नहीं होता; इसलिए कभी-कभी यह संकल्पना बहुत हानिकारक सिद्ध होती है । हमें व्यापक विचारधारा का अवश्य होना चाहिए; परंतु इतनी भी व्यापक विचारधारा का नहीं होना चाहिए, जिससे हमारी ही हानि हो ।

२. श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में सहभाग

मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बाल स्वयंसेवक था । उसके उपरांत वर्ष १९८५ से मैंने विश्व हिन्दू परिषद के रामजन्मभूमि आंदोलन में भाग लिया । मैंने दिवंगत अशोक सिंघल, आचार्य राजकिशोर, डॉ. मुरली मनोहर जोशी सहित अन्य सभी लोगों के साथ कार्य किया है । हम १० वर्ष तक निरंतर अयोध्या में रहे । वह एक प्रकार से महाभारत ही था । उस समय अध्यात्म का तेज क्या होता है, यह मैंने देखा है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की भांति ही श्री. अशोक सिंघल में भी अध्यात्म का तेज था । उनमें इतनी शक्ति थी कि उनके एक आवाहन पर लाखों लोग इकट्ठा होते थे । ३ दिसंबर को अयोध्या में लगभग ५ लाख रामभक्त एकत्रित हुए थे । हम लोग उनकी व्यवस्था देख रहे थे । ५ लाख लोग छोटीसी अयोध्या में कैसे रहेंगे, उनका भोजन, पानी, उनके आने-जाने की व्यवस्था कैसे होगी ?, इसकी हमें चिंता थी; परंतु यह सब ईश्वरीय कार्य होने से सब कुछ संपन्न हुआ । उसके कारण अयोध्या में बाबरी गिराने का जो ऐतिहासिक कार्य हुआ, उसके लिए किसी को भी अहंकार करने की आवश्यकता नहीं है । ईश्वर ने ही उनके नियोजन के अनुसार बाबरी नष्ट की । एक समय पर बर्लिन की दीवार खडी हुई थी; परंतु कालांतर से उसे भी गिराया गया । अब दोनों जर्मनी का एकत्रिकरण हुआ है तथा लोग एक-एक ईंट उठाकर चले गए हैं । अब उसका संपूर्ण अस्तित्व नष्ट हो गया है ।

डॉ.अजय सिंह

श्री. अजय सिंह का परिचय

श्री. अजय सिंह ‘वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन’ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । ‘वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन’ विश्व के ४५ देशों में कार्यरत है । यह फेडरेशन यूरोप, ऑस्ट्रेलिया तथा एशिया उपमहाद्वीप के विभिन्न देशों में सनातन धर्म के प्रसार का कार्य करता है, साथ ही वह हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों के विरुद्ध कार्य के रूप में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है । ‘विश्व स्तर पर हिन्दुओं का निर्मूलन’ (डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व), इस हिन्दूविरोधी परिषद का आयोजन किया गया था, जिसका उन्होंने तीव्र विरोध किया था । वाराणसी में वे ‘हलाल जिहाद’ के विषय में जनजागरण करने के लिए सभाओं का आयोजन करते हैं ।

३. नेपाल की माओवादी सरकार के कारण भारत एवं नेपाल में दूरी

महंत अभयनाथ रामजन्मभूमि आंदोलन के अध्यक्ष थे । मेरे उनके साथ बहुत अच्छे संबंध थे । उस समय मैं विश्व हिन्दू महासंघ का अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष था तथा कृृष्ण गोपाल टंडन अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष थे । उसमें डॉ. जोगेंद्र झा भी थे । उस समय नेपाल में माओवादियों की सरकार थी । माओवाद ने भारत एवं नेपाल के संबंध बहुत बिगाड दिए । अभी भी उसका बहुत परिणाम दिखाई देता है । नेपाल के महाराज के काल में धर्मांतरण करने का किसी में साहस नहीं था । आज संपूर्ण विश्व के ८० संगठन गिद्ध की भांति एकत्रित हुई हैं तथा वे अक्षरशः हिन्दुत्व की हड्डियां तोडकर चबा रहे हैं । उसके विरोध में हम लड रहे हैं । नेपाल के राजनीतिक विशेषज्ञों, विद्वानों, पत्रकारों तथा भारत के ‘सृजन फोरम’ के कार्यकताओं को जोडने का प्रयास चल रहा है । कोई भी आंदोलन कुछ वर्ष तक चल सकता है; परंतु जो लोग आक्रमक हो रहे हैं, उनका विरोध करने के लिए तथा हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए हमें एक शृंखला बनानी होगी ।

४. विश्व के विभिन्न देशों में हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ

हमें सभी हिन्दू संगठनों तथा हिन्दुत्वनिष्ठों को एकत्र करना चाहिए । हम अपना किला इतना मजबूत बनाएंगे कि हमारे धर्म को ध्वस्त करने आए शत्रु की सेना को हम मुंहतोड उत्तर दे सकें । अभी भी मैं ४५ देशों में कार्य कर रहा हूं । हमारा संगठन भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, सिंगापुर, कंबोडिया, विएतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, पापुआ न्यू गिनी में है । उसके उपरांत हमारे कुछ लोग मॉरिशस, दक्षिण अफ्रीका, जिंबाब्वे, जांबिया, घाना में हिन्दुत्व को बढावा देने का कार्य करते हैं । वहां स्वामी घनानंद ने हिन्दुत्व का प्रसार किया । उसी प्रकार से गयाना में स्वामी अक्षरानंद ने हिन्दुत्व के लिए बहुत बडा कार्य किया है । वहां उन्होंने अनेक मंदिरों का निर्माण किया है तथा अनेक शिष्य तैयार किए हैं । वहां के श्यामवर्णी लोग हिन्दुत्व का कार्य करते हैं तथा भजन गाते हैं । उसी प्रकार से त्रिनिनाद एवं टोबैगो में भी सत्महाराज ने बहुत कार्य किया है । वहां उन्होंने हिन्दू धर्म के लिए विश्वविद्यालय खोला, धर्मशालाएं खोली तथा विद्यालय खोले । उसी प्रकार से मॉरिशस में हमारे धनदेव बहादुर, विजय मधु मुनसी, प्रेम बुजावल, पूर्व प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम, वर्तमान प्रधानमंत्री के पिता अनिरुद्ध जगन्नाथ, अनिल बेचोजी के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं । हिन्दुत्व हेतु कार्य करनेवाले सभी का मॉरिशस में एक परिवार बन चुका है ।

५. बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुओं को राजनीतिक बल देने की आवश्यकता !

बांग्लादेश में हिन्दुओं को गुलामों की भांति रहना पड रहा है । वहां के हिन्दू शक्तिहीन एवं भयभीत हैं । उन्हें बल देने की आवश्यकता है । उन्हें मानसिक एवं शारीरिक बल देना होगा । उससे भी अधिक उन्हें राजनीतिक बल देना आवश्यक है । वहां हिन्दुओं के लगभग २०० संगठन हैं; परंतु वे अपना-अपना राग आलाप रहे हैं, यह बहुत बडी समस्या है । उसमें भी हमारे ही लोगों को दगाबाज बनाकर बांग्लादेश की सरकार उनसे जासूसी करवा रही है । बांग्लादेश में हिन्दुओं की स्थिति दयनीय है; परंतु वहां सरकारी स्तर पर अभी तक एक भी अल्पसंख्यक आयोग (माइनॉरिटी कमिशन) गठित नहीं किया गया है । वहां हिन्दुओं की स्थिति ‘आप ही स्वयं की रक्षा कीजिए’, ऐसी है । इसके विपरीत, भारत सरकार ने रोहिंग्या के पुनर्वास हेतु अनेक प्रयास किए । बांग्लादेश में प्रतिसप्ताह एक मंदिर तोडा जाता है, हिन्दुओं की भूमि बलपूर्वक हडप ली जाती है तथा उनके घरों पर नियंत्रण स्थापित किया जा रहा है । बांग्लादेश में हिन्दू लडकियों तथा महिलाओं के साथ बलात्कार किए जा रहे हैं । इन सभी अप्रिय घटनाओं को रोकने हेतु संयुक्त राष्ट्र कुछ करेंगे, इसकी आश्वस्तता नहीं रही । वे यूक्रेन एवं रूस का युद्ध भी रोक नहीं सकते । भारत ने म्यांमार सरकार से बातचीत कर उन्हें भूमि दिलाई । रोहिंग्याओं को कैसे भूमि, घर तथा रोजगार मिलेगा, इसके लिए भारत सरकार ने प्रयास किए । उसी प्रकार बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार दूर करने हेतु भारत के विदेशमंत्री को राजनैतिक स्तर पर प्रयास करना आवश्यक है । मानवाधिकार संगठन हम जैसे सीधे-साधे हिन्दू संगठनों को आंख दिखाता है; परंतु उनमें से किसी में भी मुसलमानों को आंख दिखाने का साहस नहीं है । जो अन्याय सहन करते आया है, वह हिन्दू है ! उनकी रक्षा करनेवाला कोई रक्षक नहीं है । विश्व में ५६ मुसलमान तथा ३२ ईसाई देश हैं; परंतु हिन्दुओं के लिए भारत एकमात्र देश है तथा उसका दमन करने का सभी प्रयास कर रहे हैं । उसके विरुद्ध लडने हेतु हमें तैयार होना पडेगा ।

६. इंडोनेशिया में हिन्दुओं की जनसंख्या में वृद्धि

बाली इंडोनेशिया का एक प्रांत है । वहां बहुसंख्या में हिन्दू रहते हैं । वर्ष १९९२ में बाली की जनसंख्या ९० लाख थी, जो आज के समय में १ करोड १० लाख से अधिक है । जब-जब मैं बाली जाता हूं, उस समय मैं बहुत आनंदित होता हूं । मैं वहां वर्ष १९९२ से जा रहा हूं । सबसे बडे मुसलमान राष्ट्र में यदि हिन्दुओं की जनसंख्या बढ रही है, तो वह देश इंडोनेशिया है । मॉरिशस में हिन्दुओं की जनसंख्या जो ५२ प्रतिशत थी, जो आज ४० प्रतिशत रह गई है ।

७. यूरोप के ईसाईयों का मानसिक हिन्दूकरण करना संभव !

यूरोप में हिन्दू धर्म के विषय में किसी को बहुत कुछ जानकारी नहीं दी जाती है । वहां एक समय पर हिन्दुओं की जनसंख्या ४५ प्रतिशत थी । आज वहां मुसलमानों की जनसंख्या ३२ प्रतिशत हुई है । यूरोपीय देशों में कोई ईसाई व्यक्ति हिन्दू धर्म की ओर आकर्षित होता है, तब उसे उसके पंथियों से तुरंत ही धमकियां मिलना आरंभ होती है । उसके कारण वह ईसाई व्यक्ति हिन्दू बनना टालता है । यूरोप में ईसाइयत से लोगों का मन भर गया है । वहां के युवक स्वयं को ईसाई नहीं मानते; परंतु उन्हें हिन्दू बनाया नहीं गया । उन्हें हिन्दू धर्म के विषय में बताया जा सकेगा, ऐसा हमारे पास कोई भी अवसर नहीं है । वहां की सरकार उनके लोगों को हिन्दू बनने नहीं देगी; इसलिए हमें अलग रणनीति बनानी पडेगी । यूरोप में हम ईसाईयों को हिन्दू नहीं बना सकते; परंतु हम उन्हें मानसिकरूप से हिन्दू बना सकते हैं । भले ही उनके नाम ईसाई हो; परंतु वह अंदर से हिन्दू बन सकता है । आज इसी की ही अधिक आवश्यकता है । उसके कारण हमारे लिए उन्हें मानसिकरूप से हिन्दू बनाना संभव होगा । हमें एक नए परिवर्तन के साथ चलना पडेगा । विदेशों में हिन्दुओं के लिए काम करनेवाले संगठन एक-दूसरे का हाथ पकडे हुए हैं । उसके लिए हमारा पक्ष मजबूत करना आवश्यक है । हमारा उनसे कहना है कि हम आपके किसी भी व्यक्ति को हिन्दू बनाने का प्रयास नहीं करते; परंतु आपने यदि हमारे घर आकर ही हिन्दुओं का धर्मांतरण करने का प्रयास किया, तो हम आपको मुंहतोड उत्तर देंगे ।’

– श्री. अजय सिंह, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन

बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हो रहे अन्याय को दूर करने हेतु भारत के विदेशमंत्री को राजनैतिक स्तर पर प्रयास करने चाहिए !