Religion based population : भारत में हिन्दुओं की जनसंख्या ८ प्रतिशत से घटी, तो मुसलमानों की ४३ प्रतिशत से बढी !

  • प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के ब्योरे से प्राप्त जानकारी !

  • वर्ष १९५० से २०१५ के ६५ वर्षाें के कालखंड में विश्व के १६७ देशों की जनसंख्या का धर्म के आधार पर प्रकाशित ब्योरे में प्रस्तुत किया अध्ययन !

नई देहली – भारत में हिन्दुओं की जनसंख्या ८ प्रतिशत से घट गई, तो मुसलमान ४३.२ प्रतिशत से बढ गए । वर्ष १९५० में हिन्दुओं की जनसंख्या ८४.८८ प्रतिशत थी, जो वर्ष २०१५ में अल्प होकर ७८.०६ प्रतिशत हुई । दूसरी ओर इसी कालखंड में मुसलमानों की जनसंख्या ९.८४ प्रतिशत से बढकर १४.०९ प्रतिशत हुई । ये आंकडे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के ब्योरे द्वारा प्राप्त हुए हैं । इस परिषद ने विश्व के १६७ देशों की जनसंख्या का धर्म के आधार पर अध्ययन कर ब्योरा प्रस्तुत किया ।

ब्योरे से सामने आई महत्त्वपूर्ण जानकारी !

१. आंकडों के अनुसार इस ६५ वर्षाें के कालखंड में भारत में पारसी और जैन धर्म को छोडकर अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की जनसंख्या में वृद्धि हुई है ।

२. दूसरी ओर पाकिस्तान और बांग्ला देश में बहुसंख्यक मुसलमानों की संख्या बढ गई है और अल्पसंख्यक हिन्दुओं की संख्या में प्रचंड घटाव हुआ है ।

३. भारत में ईसाई जनसंख्या की मात्रा २.२४ प्रतिशत से २.३६ प्रतिशत तक बढ गई, तो सिख समुदाय की जनसंख्या १.२४ प्रतिशत से १.८५ प्रतिशत हुई ।

४. वर्ष २०२२ में पाकिस्तान की ‘सेंटर फॉर पीस एण्ड जस्टिस’ नामक संस्था ने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की जनसंख्या के संदर्भ में एक ब्योरा प्रकाशित किया था । उसमें कहा था कि देश में अल्पसंख्यक हिन्दू समाज के २२ लाख १० सहस्र ५६६ लोग रहते हैं । यह पाकिस्तान की कुल जनसंख्या के १.१८ प्रतिशत है । पाकिस्तान में ईसाई  १८ लाख ७३ सहस्र ३४८, सिख ७४ सहस्र १३०, बौद्ध धर्म के १ सहस्र ७८७ और जैन धर्म के केवल ६ अनुयायी हैं ।

५. पाकिस्तान के हिन्दू अल्पसंख्यकों की सर्वाधिक जनसंख्या सिंध प्रांत में है । वहां के अधिकांश हिन्दू गरीब हैं और देश की सरकारी संस्थाओं में उनका प्रतिनिधित्व भी अत्यल्प है ।

संपादकीय भूमिका 

इस जनसंख्या से भारत में हिन्दू असुरक्षित हैं या मुसलमान, यह छोटा बच्चा भी बताएगा । अब इस ब्योरे के आधार पर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दुओं को कलंकित करनेवाली पाश्चात्त्य ‘महा’शक्तियों तथा प्रसारमाध्यमों की पोल खोल देनी चाहिए !