(और इनकी सुनिए…) ‘सवेरे मद्य पीनेवालों के संबंध में बुरा नहीं बोलना चाहिए ।’ – मंत्री मुथुसामी
मंत्री ही ऐसा बोलते हों, तो तमिलनाडु में नैतिकता शेष रहेगी क्या ? इसका छोटे बच्चों पर क्या परिणाम होगा ? क्या इसका विचार वे करेंगे ?
मंत्री ही ऐसा बोलते हों, तो तमिलनाडु में नैतिकता शेष रहेगी क्या ? इसका छोटे बच्चों पर क्या परिणाम होगा ? क्या इसका विचार वे करेंगे ?
विदेशों में पादरियों का वास्तविक स्वरूप सामने आने के कारण वहां के गिरजाघरों में लोग जाना नहीं चाहते । सहस्त्रों ईसाई नास्तिक बन रहे हैं । द्रमुक जैसे राजनीतिक दल केवल मतों की राजनीति के लिए इस स्थिति को दुर्लक्ष्य कर, हिन्दू राष्ट्र स्थापना को अपरिहार्य बनाते हैं !
मद्रास उच्च न्यायालय ने कुछ समय पूर्व ही दिए एक आदेश में कहा है कि १०० वर्षों से भी अधिक समय से कब्रें हैं; केवल इसलिए वे ‘प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम,१९५८’ कानून के अंतर्गत ‘संरक्षित स्मारक’ के रूप में घोषित करने का कारण नहीं हो सकता ।
प्रत्येक बात की राजनीति करनेवाले हिन्दूविरोधी राजकीय पक्षों ने अब इसपर रेलवे का ‘भगवाकरण’ करने की बांग लगाई, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए !
स्वयं को नास्तिकतावादी कहलवानेवाले द्रमुकवालों से इससे भिन्न और क्या अपेक्षा की जा सकती है ?
कारागार जाने से बचने के लिए बंदी बनाए जाने पर राजनेताओंको प्रायः होनेवाला रोग ! ऐसे लोगोंपर दया नहीं, कार्यवाही होनी चाहिए !
देश भर की घटनाओं को देखते हुए यह लव जिहाद का प्रकरण कैसे नहीं होगा ?
यह है लोकतांत्रिक देश में दमन ! जिहादी मुसलमानों का षड्यंत्र बतानेवाले चित्रपट पर इस प्रकार की अघोषित बंदी लगाना नागरिकों की मूलभूत स्वतंत्रता के विरोध में है । इस संदर्भ में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना आवश्यक है !
इस्लामिक स्टेट तथा लव जिहाद की विभीषिका दर्शाने पर कट्टर मुसलमान तथा उनके संगठनों को निश्चित ही मिरची लगेगी !
द्रमुक मूल रूप से एक हिन्दू विरोधी पक्ष है और इसे मत न देना तमिलनाडु में हिन्दुओं के हित में है । यह उल्लेखनीय हैं कि गत अनेक दशकों के द्रविड़ आंदोलन की वैचारिक छाप वहां के हिन्दुओं पर भी पड गई है ।