तमिलनाडु में चूंकि भाजपा का जनाधार बढ़ रहा है, हिन्दुओं के प्रति सत्तारूढ़ द्रमुक की भूमिका बदली !
चेन्नई (तमिलनाडु) – सत्तारूढ़ द्रमुक जैसा एक हिन्दू विरोधी पक्ष वर्तमान में हिन्दुओं को लुभाने के प्रयत्न कर रहा है क्योंकि राज्य में भाजपा का जनाधार बढ़ रहा है । मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की सरकार ने पहली बार राज्य के १०० बड़े मंदिरों में श्रद्धालुओं को प्रातः का अल्पाहार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है । इन १०० मंदिरों में प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं । इनमें कांचीपुरम का कामाक्षी मंदिर और मदुरै का मीनाक्षी मंदिर भी सम्मिलित हैं। सरकार ने मंदिरों द्वारा संचालित अनुमानित ३३,००० विद्यालयों में मध्याह्न भोजन भी प्रारंभ किया है ।
१. इसके अतिरिक्त सरकार ने गत २ वर्षों में राज्य के ४४,००० सहस्त्र मंदिरों की ४,५०० एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण हटाए हैं । इस मूमि का मूल्य ४ सहस्त्र २०० करोड़ रुपए बताया जा रहा है । (जब राज्य में पहले द्रमुक की सरकार थी तब उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया ? इससे ज्ञात होता है कि वे केवल अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति करना चाहते हैं ! – संपादक)
२. द्रमुक सरकार ने १,००० वर्ष पुरातन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए ३४० करोड रुपये का निधि भी आवंटित किया है ।
३. यद्यपि कांचीपुरम मंदिर के मुख्य पुजारी नटराज शास्त्री ने कहा कि सरकार के आश्वासन देने पर भी मंदिर के कर्मचारियों के वेतन में पर्याप्त वृद्धि नहीं हुई है ।
४. राजनीतिक विश्लेषक सुमंत रमन ने कहा, ‘द्रमुक की सरकार प्रथम ही हिन्दुओं के हितों को साधने के प्रयत्न कर रही है । इसका मुख्य कारण भाजपा का लगातार बढ़ता मत का प्रतिशत है । अन्नाद्रमुक पार्टी में अंदरूनी कलह चल रहा है । कांग्रेस यहां द्रमुक आश्रित है । राज्य में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता भाजपा का सबसे बड़ा आधार है ।
इस प्रकार बढ़ रहा है भाजपा का जनाधार !२०२१ के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भाजपा को २.६ प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। विधानसभा में भाजपा के ४ विधायक हैं । इसकी तुलना में वर्ष २०२२ में हुए नागरी स्थानीय स्वशासन चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर ५.४१ प्रतिशत हो गया । प्रथम ही भाजपा के ३०८ प्रतिनिधियों ने विजयश्री प्राप्त की है । गत नागरी स्वशासन चुनावों में भाजपा के केवल १८ प्रतिनिधि चुने गए थे । तब भाजपा को मिले मतों का प्रतिशत ३.४ था । |
संपादकीय भूमिकाद्रमुक मूल रूप से एक हिन्दू विरोधी पक्ष है और इसे मत न देना तमिलनाडु में हिन्दुओं के हित में है । यह उल्लेखनीय हैं कि गत अनेक दशकों के द्रविड़ आंदोलन की वैचारिक छाप वहां के हिन्दुओं पर भी पड गई है । अत: ध्यान रहे कि उन्हें धार्मिक शिक्षा देने से ही द्रमुक का जनाधार कम होगा ! |