वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव तृतीय दिन (२६ जून) : देश की सुरक्षा एवं धर्मरक्षा

तीर्थस्थलों पर स्थित प्रसाद के दुकानों को ‘ॐ प्रतिष्ठान’ की ओर से ‘ॐ प्रमाणपत्र’ दिया जानेवाला है । ॐ प्रमाणपत्र के माध्यम से हिन्दू हलाल प्रमाणपत्र को झटका दें ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव – द्वितीय दिन (२५ जून) : अनुभवकथन तथा उपासना का महत्त्व

धर्मनिष्ठ व्यक्ति कभी धर्म की हानि नहीं कर सकता तथा वह धर्म हानि खुली आंखों से देख भी नहीं सकता एवं उसे रोकने का प्रयत्न करता है ।उसे यह भान होता है कि धर्म कार्य करते समय उसके पास ईश्वरीय शक्ति है ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का दूसरा दिन (२५ जून) : राष्‍ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु किए गए प्रयास

हिन्दू अपनी लडकियों को उनके बचपन में ही भगवद्गीता क्यों नहीं सिखाते ? भगवद्गीता में ‘विधर्म से स्‍वधर्म श्रेष्‍ठ है’, इसकी सीख दी गई है । यदि यह शिक्षा मिली, तो हिन्दू युवतियां लव जिहाद का शिकार नहीं बनेगी ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का छठा दिन (२९ जून) : उद्बोधन सत्र – हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति हेतु विभिन्न संगठनों तथा युवकों द्वारा किया गया संघर्ष 

धर्मांतरण रोकने का आदर्श धर्मवीर संभाजी महाराज ने हिन्दुओं के समक्ष रखा ! – सद्गुरु बाल महाराज, इचलकरंजी, कोल्हापुर

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का पांचवां दिन (२८ जून) : मंदिर संस्कृति की रक्षा के प्रयत्न

श्री तुलजाभवानी मंदिर की दानपेटी में अर्पण पैसे और आभूषणों में भ्रष्टाचार हुआ है । ठेकेदारों और विश्वस्तों ने मिलीभगत कर मंदिर की संपत्ति की लूटपाट की ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र अधिवेशन का पांचवां दिन (२८ जून) : उद़्‍बोधन सत्र – मंदिरों का सुव्‍यवस्‍थापन

सनातन धर्म के अर्थशास्‍त्र में मंदिरों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है । सनातन धर्म में मंदिरों के अर्थकारण से शिक्षाप्रणाली चलाई जा रही है । मंदिरों की अर्थव्यवस्था पर गांवों की निर्मिति हो रही है ।

मंदिरों में अर्पण के रूप में आनेवाले धन का उपयोग मंदिरों के ही जीर्णोद्धार तथा रखरखाव के लिए करना आवश्यक ! – गिरीश शाह, न्यासी, महाजन एन्.जी.ओ., मुंबई  

मंदिर संस्कार, संस्कृति तथा सुरक्षा का मुख्य केंद्र होता है । काल के प्रवाह में जो मंदिर जीर्ण हुए हैं, उनका पुनर्निर्माण तथा रखरखाव आवश्यक है ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र अधिवेशन का पांचवां दिन (२८ जून) – उद़्‍बोधन सत्र : मंदिर संस्‍कृति का पुनर्जीवन

मंदिर के पुरोहितों का धर्म केवल लोगों को तिलक लगाने तक ही मर्यादित नहीं है । हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा देना भी उनसे अपेक्षित है । उससे हिन्दुओं का धर्माभिमान बढकर उनका मनोबल बढेगा औेर सभी संगठित होंगे ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव तृतीय दिन (२६ जून) : भारतीय शिक्षा प्रणाली !

‘कर्ता भगवान है !’, श्रीकृष्ण का यह वचन ध्यान में रखकर धर्मकार्य करें ! – रस आचार्य डॉ. धर्मयश, संस्थापक, धर्म स्थापनम् फाउंडेशन, इंडोनेशिया

वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव का चतुर्थ दिन (२७ जून) : हिन्दू राष्‍ट्र हेतु वैचारिक आंदोलन

‘हिन्दू राष्‍ट्र के कथानकों के विरुद्ध संघर्ष करने हेतु बौद्धिक योगदान दें !’