‘ओम प्रमाणपत्र’ वितरण आंदोलन को सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के शुभाशीर्वाद !

प्रसाद की शुद्धता बनाए रखने के लिए दिया जाएगा प्रमाणपत्र

पर्वरी (गोवा) : आजाद भवन में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

पर्वरी के आजाद भवन में हिन्दी भाषा में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है । यह कार्यक्रम नवरात्रि में गुरुवार, ३ अक्टूबर से बुधवार, ९ अक्टूबर २०२४ तक होने वाला है । इस अवधि में प्रतिदिन सायंकाल ५ से रात्रि ८ बजे तक श्रीमद्भागवत ग्रंथ का निरूपण किया जाएगा ।

Om Certificate : गणेशोत्सव के निमित्त से ‘ओम प्रमाणपत्र’ वितरण आंदोलन को सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के शुभाशिर्वाद !

शुद्ध और सात्त्विक गणेशोत्सव मनाने के लिए तथा उसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए ‘ओम प्रतिष्ठान’ द्वारा चलाया जा रहा यह आंदोलन अत्यंत प्रशंसनीय है । ऐसा गौरवास्पद वक्तव्य सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले जी ने इस समय दिया ।

जहां धर्म है, वहीं विजय है ! – पू. डॉ. शिवनारायण सेन, सहसचिव, शास्‍त्र धर्म प्रचार सभा, कोलकाता

 ५०० वर्ष मुसलमानों ने भारत को लूटा, मंदिर तोड डाले, परंतु वे हिन्दुओं का विश्‍वास नहीं तोड सके । आक्रामकों ने भारत को बडी मात्रा में लूट लिया, तब भी उस समय भारत की आर्थिक स्थिति विश्व में सुदृढ थी ।

हिन्दू धर्मविरोधियों के द्वारा किए जानेवाले दुष्प्रचार के विरुद्ध आक्रामक नीति आवश्यक ! – डॉ. भास्कर राजू वी., न्यासी, धर्ममार्गम् सेवा ट्रस्ट, तेलंगाना

ईसाई तथा इस्लामी पाखंडी हैं, जबकि वामपंथी देशद्रोही हैं । इन लोगों की विचारधारा को अस्वीकार किया जाना चाहिए । हमने उनकी झूठी कथाओं को खारीज करनेवाला ‘नैरेटिव’ तैयार करना चाहिए ।

कानून बनाने हेतु अनेक देशों ने मनुस्मृति का संदर्भ लिया ! – भारताचार्य पू. प्रा. सु.ग. शेवडेजी, राष्ट्रीय प्रवचनकार तथा कीर्तनकार, मुंबई, महाराष्ट्र

धर्म समझ लेने हेतु भगवान ने वेदों की निर्मिति की । सोना पुराना भी हुआ, तब भी उसका मूल्य न्यून नहीं होता । उसी प्रकार वेद भले ही प्राचीन हों; परंतु उनमें विद्यमान ज्ञान कालबाह्य नहीं होता । वेदों का ज्ञान शाश्वत है, यह बतानेवाले मनु पृथ्वी के पहले व्यक्ति थे मनु राजा थे । जब पाश्चात्त्यों को कपडे पहनने का भी ज्ञान नहीं था, उस समय मनु ने ‘मनुस्मृति’ लिखी ।

हिन्दू धर्माचरण के पीछे आध्यात्मिकता के साथ वैज्ञानिक विचार ! – श्री वीरभद्र शिवाचार्य महास्वामीजी, बालेहोन्नरू, खासा शाखा मठ, श्रीक्षेत्र सिद्धरामबेट्टा, तुमकुरू, कर्नाटक

अन्य धर्मी लोग उनके धर्म के विषय में प्रश्न नहीं पूछते;  परंतु हिन्दू धर्माचरण करने से पूर्व प्रश्न पूछते हैं; इसलिए हमें हिन्दुओं को धर्माचरण के पीछे समाहित वैज्ञानिक कारण बताने आवश्यक हैं ।

प्रत्येक राज्य में हिन्दू विचारकों का संगठन होना आवश्यक ! – श्री. मोहन गौडा, कर्नाटक राज्य प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

एक संदेश पर केवल २ दिनों में ही मुसलमान उसके लिए एकत्र हो गए । हिन्दुओं को भी इसप्रकार की संपर्कव्यवस्था निर्माण करना आवश्यक है ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव तृतीय दिन (२६ जून) : देश की सुरक्षा एवं धर्मरक्षा

तीर्थस्थलों पर स्थित प्रसाद के दुकानों को ‘ॐ प्रतिष्ठान’ की ओर से ‘ॐ प्रमाणपत्र’ दिया जानेवाला है । ॐ प्रमाणपत्र के माध्यम से हिन्दू हलाल प्रमाणपत्र को झटका दें ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव – द्वितीय दिन (२५ जून) : अनुभवकथन तथा उपासना का महत्त्व

धर्मनिष्ठ व्यक्ति कभी धर्म की हानि नहीं कर सकता तथा वह धर्म हानि खुली आंखों से देख भी नहीं सकता एवं उसे रोकने का प्रयत्न करता है ।उसे यह भान होता है कि धर्म कार्य करते समय उसके पास ईश्वरीय शक्ति है ।