प्रसाद की शुद्धता बनाए रखने के लिए दिया जाएगा प्रमाणपत्र
रामनाथी – मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पण किए जानेवाले प्रसाद की शुद्धता और पूजा की पवित्रता बनाए रखने के लिए ओम प्रतिष्ठान की ओर से पर्यावरणपूरक गणेशोत्सव के अंतर्गत आंदोलन चलाया जा रहा है । इस आंदोलन के निमित्त से ‘ओम प्रमाणपत्र’ वितरण का शुभारंभ हरितालिका पूजन के पावन पर्व पर (६ सितंबर २०२४) सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले जी के करकमलों द्वारा किया गया । इस समय उनके करकमलों द्वारा प्रमाणपत्र को हस्तस्पर्श कर प्रमाणपत्र ‘सनातन प्रसाद निर्मिति केंद्र’, रामनाथी आश्रम को प्रदान किया गया ।
‘हिन्दू शुद्धता मानक प्रमाणित’ दुकानों से प्रसाद और पूजा सामग्री खरीदने का आवाहन ‘ओम प्रतिष्ठान’ और विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने १४ जून २०२४ को त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) में किया था । उस समय अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज, महाराष्ट्र क्षेत्र के अध्यक्ष महंत आचार्य पीठाधीश्वर डॉ. अनिकेत शास्त्री महाराज, स्वतंत्रतावीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजित सावरकर, हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्यों के संगठक एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट, सावरकर प्रतिष्ठान की कोषाध्यक्षा मंजिरी मराठे के हाथों त्र्यंबकेश्वर के पावन चरणों में पहला प्रमाणपत्र अर्पित कर मंदिर परिसर के कुछ चुने प्रसाद विक्रेताओं को ‘ओम प्रमाणपत्र’ वितरीत किया गया था ।
ओम प्रतिष्ठान’ द्वारा चलाया जा रहा यह आंदोलन अत्यंत प्रशंसनीय – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले
‘हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार, देवता को अर्पित किया जानेवाला प्रसाद और पूजा सामग्री जितनी सात्त्विक होगी, उतना उसका लाभ पूजक को आध्यात्मिक स्तर पर होता है । शुद्ध और सात्त्विक गणेशोत्सव मनाने के लिए तथा उसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए ‘ओम प्रतिष्ठान’ द्वारा चलाया जा रहा यह आंदोलन अत्यंत प्रशंसनीय है ।’, ऐसा गौरवास्पद वक्तव्य सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले जी ने इस समय दिया । ‘पूजक अपने उपास्य देवता का नामजप करते हुए पूजन-अर्चन करेगा, तो उसकी शुद्धता और सात्त्विकता अधिक मात्रा में बढेगी । इससे वातावरण की सात्त्विकता बढने में सहायता होगी । परिणामस्वरुप यह अंदोलन अधिक फलप्रद होगा’, ऐसा भी उन्होंने कहा ।
ओम प्रमाणपत्र का उद्देश्य
‘ओम प्रमाणपत्र’ का आंदोलन हिन्दू संगठन तथा हिन्दुओं के अस्तित्व के लिए चलाया जा रहा आंदोलन है । स्वतंत्रतावीर सावरकर के प्रपौत्र रणजित सावरकर के नेतृत्व आरंभ हुए इस आंदोलन के लिए ‘ओम प्रतिष्ठान’ की स्थापना हुई है । ऐसा होते हुए भी यह प्रतिष्ठान सर्वत्र के हिन्दुओं के लिए है । ‘प्रसाद में अंतर्भूत साम्रगी पूर्णतः शुद्ध साम्रगी है अथवा नहीं ?’, यह ‘ओम प्रमाणपत्र’ देने से पहले जांचा जाएगा ।
हिन्दू दुकानदारों के सक्षमीकरण के लिए ‘ओम प्रमाणपत्र’ !
देश के सभी दुकानदारों को ‘ओम शुद्धता प्रमाणपत्र’ दिया जा रहा है । हिन्दू विक्रेताओं द्वारा बिक्री किया जानेवाला उत्पादन हिन्दुओं ने ही बनाया है ना, इसकी पुष्टि की जाएगी । ‘ओम शुद्धता प्रमाणपत्र’ पैसे कमाने के लिए आरंभ किया व्यवसाय नहीं है अथवा शासनतंत्र को चुनौति देने का प्रयत्न भी नहीं है । यह हिन्दुओं के ही सक्षमीकरण के लिए किया जा रहा एक प्रयत्न है । ओम प्रमाणपत्र के प्रति मुसलमानों से प्रश्न पूछे जाने से पहले ही आशंका उपस्थित करनेवाले हिन्दू समाज के ही कई लोग हैं; परंतु उनमें से किसी ने भी हलाल प्रमाणपत्र के विरुद्ध आवाज उठाया सुना नहीं है ।
‘ओम प्रमाणपत्र’ की सहायता से शुद्धता मानक प्रमाणित दुकानों के नाम कैसे ढूंढे ?
‘ओम शुद्धता प्रमाणपत्र’ पर छपा ‘क्यू.आर्. कोड’ स्कैन करने पर ओम शुद्धता प्रमाणपत्र प्राप्त केंद्र का नाम आप को अपने भ्रमणभाष पर दिखाई देगा । वह नाम और प्रत्यक्ष केंद्र पर लिखा नाम एक ही होगा, तो हम उचित स्थल पर हैं, यह समझ में आएगा । यदि ‘क्यू.आर्. कोड’ स्कैन करने पर दिखाई देनेवाला नाम और केंद्र का नाम एक नहीं होगा, तो प्रमाणपत्र अवैध होगा, वह उस केंद्र का नहीं हैं, ऐसा आप के ध्यान में आएगा । ऐसे समय वहां केवल खरीदना ही टालना नहीं है, किंतु हमें उसके विरुद्ध परिवाद भी प्रविष्ट करना है । हिन्दुओं के व्यवसाय वृद्धि के लिए ‘ओम शुद्धता प्रमाणपत्र’ आंदोलन में सहभाग लेने का आवाहन ओम प्रतिष्ठान ने किया है ।