सनातन के ज्ञान-प्राप्तकर्ता साधकों को होनेवाले विविध प्रकार के कष्ट एवं मिलनेवाले ज्ञान की विशेषताएं !

विष्णुस्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के धर्मसंस्थापना के कार्य को ज्ञानशक्ति का समर्थन मिलने के लिए ईश्वर सनातन संस्था की ओर ज्ञानशक्ति प्रवाहित कर रहा है ।

भारतीय शास्त्रीय नृत्य की ओर साधना के रूप में देखनेवाले प्रसिद्ध कथ्थक नर्तक पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज !

संगीत में कोई भी कृत्य करने से पूर्व अपने इष्टदेवता का ध्यान (स्मरण) करना आवश्यक होता है । इसलिए कोई भी कृत्य करने से पूर्व भगवान के स्तुतिपर गीत, वंदना इत्यादि के माध्मय से भगवान की स्तुति गाई जाती है ।

अपने बच्चोंको भविष्यके आदर्श नागरिक बनाएं !

आजके बच्चे कलके आदर्श भारतके शिल्पकार हैं ! पश्चिमके अन्धानुकरण एवं ‘टीवी’के अतिरेकसे भटक रही आजकी पीढीको सुसंस्कारी एवं आदर्श बनानेका मार्ग है ग्रन्थमाला ‘बालसंस्कार’ !

भगवान की पूजा-अर्चना आदि उपासना करें !

पूजाघर में यदि पूजा संपन्न हुई हो, तो स्नान उपरांत प्रथम पूजाघर के सामने खडे होकर भगवान को हलदी-कुमकुम एवं पुष्प अर्पित करें । भगवान को उदबत्ती (अगरबत्ती) दिखाएं । यदि पूजा न हुई हो, तो बडों की अनुमति लेकर स्वयं पूजा करें ।

बच्चो, स्वभावदोष दूर कर ‘व्यक्तित्व’ विकसित करें !

स्वभावदोषों से जीवन दुःखी एवं निराशाजनक हो जाता है । स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया से दोष नियंत्रण में आते हैं और स्वयं में गुणों का विकास होता है; जिससे जीवन सुखी एवं आदर्श बनता है ।

आध्यात्मिक स्तर घोषित होने पर स्तरानुसार जीव पर होनेवाले परिणाम और उसका अध्यात्मशास्त्र

आध्यात्मिक स्तर घोषित करने का महत्त्व, आध्यात्मिक स्तर घोषित नहीं किया गया, तो जीव में अप्रकट रूप में शक्ति का कार्यरत रहना, आध्यात्मिक स्तर घोषित करने पर आकाशतत्त्व के कारण शक्ति की जागृति होना

विभिन्न समस्याओं पर अचूक नामजपादि उपाय ढूंढकर, करने से कष्ट दूर होना और इससे उपायों का महत्त्व ध्यान में आना

मानव जीवन में होने वाली ८० प्रतिशत समस्याएं आध्यात्मिक कारणों से होती हैं । इसलिए ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए साधना की आवश्यकता होती है । साधना के साथ, समस्याओं के उस उस प्रसंग में उस समस्या पर नामजपादि आध्यात्मिक उपाय ढूंंढकर करने की आवश्यकता होती है ।

काल के अनुसार आवश्यक सप्तदेवताओं के नामजप सनातन संस्था के जालस्थल (वेबसाइट) एवं ‘सनातन चैतन्यवाणी’ एप पर उपलब्ध !

भावपूर्ण और लगन के किए गए नामजप के कारण व्यक्ति को हो रहे अनिष्ट शक्तियों के कष्ट का निवारण हो सकता है; परंतु यह बात कई लोगों को ज्ञात न होने से वे अनिष्ट शक्तियों के निवारण हेतु तांत्रिकों के पास जाते हैं । तांत्रिक द्वारा किए जानेवाले उपाय तात्कालिक होते हैं ।

देहली के साधक दंपति श्री. संजीव कुमार (आयु ७० वर्ष) एवं श्रीमती माला कुमार (आयु ६७ वर्ष) सनातन के ११५ वें और ११६ वें समष्टि संतपद पर विराजमान !

इस दंपति ने एकत्रित रूप से साधना का आरंभ किया । वर्ष २०१७ में एक ही दिन इन दोनों का आध्यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत हुआ और आज के इस मंगल दिवस पर इन दोनों ने ७१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर एक ही दिन संतपद भी प्राप्त कर लिया है ।

जयपुर, राजस्थान के धर्माभिमानी और शिवभक्त श्री. वीरेंद्र सोनी (आयु ८६ वर्ष) संतपद पर विराजमान !

ऐसी हुई संतपद प्राप्ति की घोषणा !      ३० नवंबर २०२१ को श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने जयपुर यात्रा के समय श्री. वारिद सोनी (‘वारिद’ का अर्थ दक्ष) को संदेश दिया कि वे उनके परिजनों से मिलेंगी । दोपहर १२ बजे ‘उच्च कोटि के संत घर आएंगे’, इस विचार से सोनी परिवार ने … Read more