भगवान की पूजा-अर्चना आदि उपासना करें !

बालसंस्कार विशेष निमित्त

स्नान के उपरांत ये करें !

१. भगवान की पूजा करें

     पूजाघर में यदि पूजा संपन्न हुई हो, तो स्नान उपरांत प्रथम पूजाघर के सामने खडे होकर भगवान को हलदी-कुमकुम एवं पुष्प अर्पित करें । भगवान को उदबत्ती (अगरबत्ती) दिखाएं । यदि पूजा न हुई हो, तो बडों की अनुमति लेकर स्वयं पूजा करें ।

२. श्री गणेशवंदना एवं अन्य श्लोक बोलें

     भगवान की पूजा के उपरांत श्री गणेशजी की वंदना करें एवं निम्नांकित श्लोक बोलें ।

वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

अर्थ : (दुर्जनों का नाश करनेवाली) टेढी सूंड, महाकाय (शक्तिमान) और कोटि सूर्य का तेज जिनमें विद्यमान हैं ऐसे श्री गणेशजी, मेरे सभी काम नित्य कोई भी विघ्न आए बिना सफल हों । इसके उपरांत जो ज्ञात हैं, वह श्लोक बोलें ।

३. भगवान की प्रार्थना करें !

अ. हे भगवान, अच्छी बातें करने के लिए दिनभर मेरी सहायता कीजिए ।

आ. हे कुलदेवता, आपके नामजप का मैं नित्य स्मरण रख पाऊं ।

इ. हे श्रीराम, मुझे सभी का आदर करना सिखाइए ।

ई. हे श्रीकृष्ण, मुझे देश व धर्म के प्रति प्रीति लगने दें ।

४. भगवान को नमस्कार करें

     कुलदेवता अथवा उपास्यदेवता एवं अन्य देवताओं को मनःपूर्वक साष्टांग नमस्कार करें । यदि साष्टांग नमस्कार करना संभव न हो, तो हाथ जोडकर नमस्कार करें ।

५. भगवान का नामजप करें

     अंत में बैठकर न्यूनतम १० मिनट भगवान का नामजप करें । कौन से भगवान का नामजप करें, यह प्रश्न आपके मन में आया होगा ।

अ. छत्रपति शिवाजी महाराजजी अपनी कुलदेवी श्री भवानीमाता की उपासना करते थे । श्री भवानीमाता के आशीर्वाद से वे ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की स्थापना कर सके । अन्य किसी देवता की अपेक्षा अपनी कुलदेवी तुरंत प्रसन्न होती हैं; इसलिए उनकी उपासना करें ।

आ. नामजप करते समय देवता के नाम पूर्व ‘श्री’ लगाएं । नाम को चतुर्थी का प्रत्यय लगाएं । अंत में ‘नमः’ बोलें, उदा. यदि कुलदेवता भवानीदेवी हों, तो ‘श्री भवानीदेव्यैै नमः’ इस प्रकार जप करें । यदि उपास्यदेवता गणेशजी हों, तो ‘श्री गणेशाय नमः’ इस प्रकार नामजप करें । यदि कुलदेवता ज्ञात न हों, तो उपास्यदेवता का जप करें ।

सांझ के समय ये करें !

‘शुभं करोति’ बोलें !

     सूर्यास्त के उपरांत संधिकाल आरंभ होता है । इस समय में प्रबल होनेवाली अनिष्ट शक्तियों से रक्षा होने के लिए आचारों का पालन करें । इसके लिए हाथ-पांव और मुंह धोकर एवं भगवान को उदबत्ती दिखाकर निम्नांकित श्लोक बोलें –

शुभं करोति कल्याणम्
आरोग्यं धनसंपदाम् ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय
दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ॥

अर्थ : दीपज्योति शुभ और कल्याण करती है, उसी प्रकार आरोग्य एवं धनसंपदा प्रदान करती है और शत्रुबुद्धि अर्थात द्वेष का नाश करती है; इसलिए हे दीपज्योति, तुम्हें प्रणाम करता हूं ।