धर्मप्रेम बढाएं और धर्माभिमानी बनें !
यह न भूलें कि ‘धर्म’ राष्ट्र का प्राण है । राष्ट्र को धर्म का अधिष्ठान हो, राजा तथा प्रजा दोनों धर्मपालक हों, तभी राष्ट्र सभी संकटों से मुक्त और सुखी बनता है !
यह न भूलें कि ‘धर्म’ राष्ट्र का प्राण है । राष्ट्र को धर्म का अधिष्ठान हो, राजा तथा प्रजा दोनों धर्मपालक हों, तभी राष्ट्र सभी संकटों से मुक्त और सुखी बनता है !
मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाना, क्या उदयनिधि को यह सही लगता है ? उन्हें बताना चाहिए ! अगर उन्हें सही नहीं लगता है तो क्या वे देश के उन साढ़े तीन लाख मंदिरों को खाली करने के लिए कहेंगे जहां मस्जिदें बनायी गईं ?
सनातन धर्म के अमेरिका स्थित अध्येता आनंद मैथ्यूज द्वारा लिखित पुस्तक ‘इन क्वेस्ट ऑफ गुरु’ का मुंबई में लोकार्पण !
माता अमृतानंदमयी देवी, जिन्हें पूरी दुनिया श्रद्धापूर्वक ’अम्मा’ कहती हैं, ने २६ नवंबर को ’विश्व हिन्दू कांग्रेस’ के अंतिम दिन सुबह के सत्र का मार्गदर्शन किया ।
हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को समान ध्येय लेकर कार्य करना चाहिए । अपने भेदों को ही देखते रहे, तो हम कभी भी एकत्रित नहीं हो पाएंगे ।
आज भी एक ओर विश्व को ईसामय बनाने का षड्यंत्र सर्वत्र जोर-शोर से चल रहा है, तो दूसरी ओर ‘गजवा-ए-हिन्द’ आदि विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विश्व को इस्लाममय बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं । इस वैश्विक परिस्थिति में हिन्दू विचारक, अध्येता स्वबोध एवं शत्रुबोध इन संज्ञाओं के प्रचलन के द्वारा हिन्दू समाज में जनजागरण का अभियान चला रहे हैं
प्रत्येक बात को सनातन धर्म से जोडने का प्रयास करनेवाले उदयनिधि को सनातन धर्म द्वेष की चिंता हुई है, ऐसा ही इससे दिखाई देता है !
भारत स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र है ही; परंतु संविधान द्वारा यह घोषित होना आवश्यक है !
आने वाला समय भारत और सनातन धर्म का है । वेद ज्ञान के भंडार हैं । वेदों में सभी कुछ है । नियमित होने वाले आक्रमणों के कारण सभी ओर विशेषत: उत्तर भारत में वैदिक ज्ञान की बडी हानि हुई । अग्निहोत्र के अनुयायियों ने युगों- युगों से इस ज्ञान की रक्षा की है ।
आधुनिक युग में धर्मसंस्थापना का यही कार्य गुरुतत्त्व को अधिक प्रिय है । धर्मसंस्थापना केवल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना नहीं, धर्मग्लानि से ग्रस्त राष्ट्र और समाज के प्रत्येक घटक को धर्मयुक्त बनाना भी है ।