Inter-Religious Marriages : कानूनन प्रक्रिया पूर्ण किए बिना अंतर-धार्मिक विवाह करनेवाले ८ दंपत्तियों को सुरक्षा देने से इलाहाबाद उच्‍च नयायालय ने मना किया !

८ में से ५ मुसलमान युवकों ने हिन्‍दू युवतियों से तथा ३ हिन्‍दू युवकों नें मुसलमान युवतियों से विवाह किया था ।

Gyanvapi Survey : मस्‍जिद के स्‍थान पर पूर्व में मंदिर होने के ३२ प्रमाण मिले ! 

न्‍यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना मुस्‍लिमों को स्‍वयं ही ज्ञानवापी मस्‍जिद हिन्‍दुओं को सौंप देनी चाहिए एवं धर्मनिरपेक्षता, निधर्मीवाद, सर्वधर्मसमभाव दिखाना चाहिए !

Allahabad HC On Live-In : भारत कोई पाश्चात्त्य देश नहीं है, जहां ‘लिव इन’ सामान्य संस्कार होता है ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय !

एक प्रकरण की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की ओर ध्यान आकर्षित किया है। न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि भारत कोई पश्चिमी देश नहीं है जहां ‘लिव इन’ सामान्य संस्कार होता है। भारत के लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व होना चाहिए।

ज्ञानवापी की पुरातात्‍विक सर्वेक्षण रिपोर्ट होगी सार्वजनिक !

१८ दिसंबर २०२३ को पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग ने इस संबंध में एक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी । ज्ञानवापी का १००  दिन से अधिक समय तक सर्वेक्षण किया गया । इसके लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों की भी सहायता ली गई ।

Ram Mandir Public Holiday : विधि विभाग के ४ विद्यार्थियों की याचिका मुंबई उच्च न्यायालय ने नकार दी ! 

राज्य सरकार द्वारा घोषित किए सार्वजनिक अवकाश के विरोध का प्रकरण

UP Lawyers Namaz : उत्तर प्रदेश में अभियोग की सुनवाई छोडकर धर्मांध कट्टरपंथी अधिवक्ता ने पढी नमाज !

जब हिन्दू कर्मचारी कार्यालय में तिलक लगाते हैं या सत्यनारायण की पूजा करते हैं, तब उन्हें ´ संविधान निधर्मवादी है ´ का उपदेश देने वाले निधर्मवादी ऐसे समय कहां छुप जाते हैं ?  

बलात्कार पीडिता का बलात्कार करने वाला अधिवक्ता फरार !

पीडिता का बलात्कार करने वाले उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता पी.जी. मनु के विरोध में ‘लुक आउट नोटिस’ जारी की है ।

‘रामलला विराजमान’ की ओर से ४० वर्ष तक संघर्ष करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन् !

अधिवक्ता के. परासरन् का रामजन्मभूमि प्रकरण का इतना अध्ययन है कि वे कई बार न्यायालय के सामने बोलते-बोलते ही महत्त्वपूर्ण दिनांक बहुत ही सहजता से बताते थे । वे उंगलियों पर गणना कर ‘कौन-से दिन क्या हुआ था ?’, यह बताते थे ।

डॉक्टरों ने प्रिस्क्रिप्शन और दवाइयों का परचा लिखते समय पढने योग्य अक्षर लिखने के लिए परिपत्रक निकाले !

डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन लिखते समय इसे पढने योग्य अक्षरों में लिखना चाहिए, इस हेतु न्यायालय द्वारा सरकार को परिपत्रक निकालने का आदेश देना, यह डॉक्टरों के लिए लज्जास्पद है !

Brutal Murder Hindu Saint : स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या की जांच सीबीआई को क्यों न दें ? 

ओडीसा उच्च न्यायालय ने ओडीसा सरकार को नोटिस भेजकर पूछा प्रश्न !