Allahabad HC On Live-In : भारत कोई पाश्चात्त्य देश नहीं है, जहां ‘लिव इन’ सामान्य संस्कार होता है ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय !

  • अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व करें ! – न्यायाधीश शमीम अहमद

  • ‘लिव इन’  विवाह बद्ध न होते हुए स्त्री-पुरुष का एकत्र  रहना पश्चिमी विकृति है !

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – एक प्रकरण की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की ओर ध्यान आकर्षित किया है। न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि भारत कोई पश्चिमी देश नहीं है जहां ‘लिव इन’ सामान्य संस्कार होता है। भारत के लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व होना चाहिए।

१. आशीष कुमार नाम के एक व्यक्ति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर कहा था कि उसका २०११ से एक महिला के साथ प्रेम संबंध है । कुमार ने इस संबंध में दोनों की छवियां भी न्यायालय के समक्ष रखीं। उसने आरोप लगाया कि महिला के परिवार ने उसे बंदी बना कर रखा है और दोनों को मिलने नहीं दिया जाता।

२. इस पर न्यायालय ने कहा कि यदि  वे गत १३ वर्षों से प्रेम संबंध में हैं तो उन्होंने विवाह क्यों नहीं किया ? इस प्रकार छवि प्रदर्शित कर लडकी एवं उसके परिवार की प्रतिमा मलीन करने का प्रयत्न है। न्यायालय ऐसे प्रकरणों की सुनवाई नहीं करेगा। इस प्रकार न्यायमूर्ति ने याचिका निरस्त कर दी एवं  याचिकाकर्ता पर २५,००० सहस्र रुपये का दंड लगाया ।