|
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – एक प्रकरण की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की ओर ध्यान आकर्षित किया है। न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि भारत कोई पश्चिमी देश नहीं है जहां ‘लिव इन’ सामान्य संस्कार होता है। भारत के लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व होना चाहिए।
‘Ploy To Defame Image Of Girl, Her Family Members’: Allahabad HC Dismisses Alleged Lover’s Habeas Corpus Plea With ₹25K Cost | @ISparshUpadhyay #HabeasCorpus #AllahabadHighCourt https://t.co/3OyHA6PFUR
— Live Law (@LiveLawIndia) January 20, 2024
१. आशीष कुमार नाम के एक व्यक्ति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर कहा था कि उसका २०११ से एक महिला के साथ प्रेम संबंध है । कुमार ने इस संबंध में दोनों की छवियां भी न्यायालय के समक्ष रखीं। उसने आरोप लगाया कि महिला के परिवार ने उसे बंदी बना कर रखा है और दोनों को मिलने नहीं दिया जाता।
India is not a western nation where ‘live-in’ is a common thing ! – Allahabad HC
Take pride in our culture and traditions ! – Justice Shamim Ahmed
Prayagraj (Uttar Pradesh) : While hearing a case, the Allahabad High Court expressed disapproval over ‘Live in relationships’.… pic.twitter.com/Kv7WTPklO5
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 24, 2024
२. इस पर न्यायालय ने कहा कि यदि वे गत १३ वर्षों से प्रेम संबंध में हैं तो उन्होंने विवाह क्यों नहीं किया ? इस प्रकार छवि प्रदर्शित कर लडकी एवं उसके परिवार की प्रतिमा मलीन करने का प्रयत्न है। न्यायालय ऐसे प्रकरणों की सुनवाई नहीं करेगा। इस प्रकार न्यायमूर्ति ने याचिका निरस्त कर दी एवं याचिकाकर्ता पर २५,००० सहस्र रुपये का दंड लगाया ।