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मुंबई – राज्य सरकार द्वारा श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठापना के उपलक्ष्य में घोषित किए गए अवकाश के विरोध में विधि विभाग के ४ विद्यार्थियों ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी ।
‘राज्य सरकार द्वारा घोषित किया यह अवकाश मनमाना होने के कारण ऐसा अवकाश घोषित करना राज्य सरकार के अधिकार में नहीं’, ऐसा याचिका में कहा था । यह याचिका मुंबई उच्च न्यायालय ने नकार दी । ‘इस याचिका के कारण हमें झटका लगा है । याचिका में अन्य भी गंभीर विधान किए हैं । कानून के विद्यार्थियों में ध्यान आकर्षित करने जैसे ऐसे विधान करने की कल्पना शक्ति होगी ,इस पर विश्वास रखना हमारे लिए कठिन है’, ऐसा न्यायालय ने सुनवाई में कहा है । न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और नीला गोखले की विशेष खंडपीठ के सामने यह सुनवाई हुई ।
‘याचिका बाह्य कारणों के लिए प्रविष्ट की गई है, इस विषय में कोई भी शंका नहीं कि यह याचिका पूर्णत: व्यर्थ है । न्यायालय में आनेवाले याचिकाकर्ता ने केवल स्वच्छ हाथों से ही नहीं, अपितु स्वच्छ मन से भी आना चाहिए, ऐसा न्यायालय ने कहा है ।
१. न्यायालय ने कहा कि शासन का यह निर्णय राजनीतिक दृष्टि से प्रेरित नहीं और मूलभूत अधिकारों को भी खतरा निर्माण करने वाला नहीं । निर्णय नीतिसंगत निर्णय है । १७ राज्यों ने सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है । ऐसा निर्णय कार्यकारी नीति की कक्षा में आता है ।
२. ‘विशेष धर्म को महत्व देना, यह लोकतंत्र में नहीं आता’, ऐसा याचिकाकर्ताओं के कहने पर ‘राज्य सरकार को अवकाश घोषित करने का संपूर्ण अधिकार है’, ऐसा सरकारी अधिवक्ताओं ने कहा ।