८ में से ५ मुसलमान युवकों ने हिन्दू युवतियों से तथा ३ हिन्दू युवकों नें मुसलमान युवतियों से विवाह किया था ।
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – हिन्दू एवं मुसलमान धर्मी युवकों एवं युवतियों के १५ दंपतियों ने सुरक्षा के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रविष्ट की याचिका न्यायालय ने अस्वीकार कर दी है । न्यायालय ने इन दंपतियों के विवाह कानून के अनुसार वैध न बताते हुए, सुरक्षा प्रदान करने से मना कर दिया है । न्यायालय ने आगे कहा कि इन दंपति के विवाह ‘उत्तर प्रदेश निषेध धर्म परिवर्तन अधिनियम’, प्रावधान के अनुसार नहीं हैं । ८ दंपतियों ने परिजनों से उनके प्राणों को संकट होने का कारण देते हुए सुरक्षा देने की मांग की थी । इनमें ८ में से ५ मुसलमान युवकों ने हिन्दू युवतियों से तथा ३ हिन्दू युवकों ने मुसलमान युवतियों से कानूनन धर्मांतरण किए बिना विवाह किया था ।
१. उच्च न्यायालय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि ये विपरीत धर्म के दंपति के विवाह के प्रकरण हैं तथा विवाह पूर्व धर्मांतरण की कानूनन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया । इस कारण ये विवाह कानून की दृष्टि में वैध नहीं हैं । इन विवाहों में धर्मांतरण विरोधी कानून का पालन नहीं किया गया है । यदि याचिकाकर्ता कानून के अनुसार उचित प्रक्रिया कर विवाह करते हैं, तो वे पुनः सुरक्षा मांग सकते हैं ।
२. न्यायालय ने आगे कहा कि वर्ष २०२१ में सम्मत किया गया धर्मांतरण विरोधी कानून गलत बयान, बलजोरी, धोखाधडी, अनुचित प्रभाव एवं प्रलोभन द्वारा गैरकानूनी पद्धति से एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण पर प्रतिबंधित लगाता है ।