बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों के बीच हुए झगडे में एक कार्यकर्ता की मृत्यु
बंगाल में राष्ट्रपति शासन कब लागू होगा ?
बंगाल में राष्ट्रपति शासन कब लागू होगा ?
ढोंगी धर्मनिरपेक्ष प्रसारमाध्यम और संगठनों के दबाव के कारण हिन्दुओं को अनावश्यक ही मुकदमों का सामना करना पडा ! – न्यायालय की टिप्पणी
२७ वर्षों के उपरांत किसी प्रकरण में अंतिम निर्णय मिलता हो तो वह न्याय नहीं, अपितु उसे अन्याय ही कहेंगे !
केरल उच्च न्यायालय ने कुछ दिन पूर्व प्रसारमाध्यमों को न्यायालयीन प्रकरणों की रिपोर्टिंग (वार्तांकन) करते समय सावधान रहने का आवाहन किया है ।
इससे स्पष्ट होता है कि, बंगाल सरकार संविधान के अनुसार निर्णय नहीं लेती है । ऐसी सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू करना ही योग्य होगा !
जनहित याचिका पर गुजरात सरकार के उच्च न्यायालय में प्रतिपादन !
पंचायत स्तर के चुनावों के लिए केंद्रीय बल को तैनात करना पडता है, यह तथ्य स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी बिगड चुकी है । इसलिए केंद्र सरकार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए !
एक ही प्रकार का अपराध होते हुए भी अपराधियों को भिन्न दंड क्यों दिया जाता है ? उसके पीछे क्या कर्मफलसिद्धांत है ? जब एकाध द्वारा बलात्कार के समान अपराध होता है, तब उसके पीछे ‘काम’ एवं ‘क्रोध’ ये षड्रिपुओं के दोष समाहित होते हैं । क्या उसका अध्ययन नहीं होना चाहिए ?
‘हेट स्पीच’ की (विद्वेषपूर्ण वक्तव्य देने की) लाठी हिन्दुओं पर चलाई जाती है । हिन्दुओं पर प्रतिबंध लगाकर उन पर अभियोग प्रविष्ट किए जाते हैं । ‘हेट स्पीच’ में फंसाकर हिन्दुओं का दमन किया जाता है । यदि ऐसा है, तो ‘धर्मांधों’ एवं जिहाद का आवाहन करनेवाली पुस्तकों पर कब कार्यवाही की जाएगी ?
बर्लिन के न्यायालय ने भारतीय दंपति की २ वर्ष ३ माह की लडकी को उसके माता-पिता को सुपूर्द करने से मना कर दिया है । न्यायालय ने इस लडकी के पालन-पोषण का दायित्व ‘जर्मनी युथ वेलफेयर कार्यालय’को सौंपा है । वर्ष २०२१ से यह लडकी सरकार के नियंत्रण में है ।