बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों के बीच हुए झगडे में एक कार्यकर्ता की मृत्यु

बंगाल में राष्ट्रपति शासन कब लागू होगा ?

गुजरात दंगों के ३५ हिन्दुओं की २० वर्षों के उपरांत निर्दोष मुक्तता !

ढोंगी धर्मनिरपेक्ष प्रसारमाध्यम और संगठनों के दबाव के कारण हिन्दुओं को अनावश्यक ही मुकदमों का सामना करना पडा ! – न्यायालय की टिप्पणी

सत्र एवं उच्च न्यायालय ने २७ वर्षों पूर्व हत्या के प्रकरण में उम्रकैद का दंड भुगत रहे आरोपी को सर्वोच्च न्यायालय ने ठहराया निर्दोष !

२७ वर्षों के उपरांत किसी प्रकरण में अंतिम निर्णय मिलता हो तो वह न्याय नहीं, अपितु उसे अन्याय ही कहेंगे !

प्रसारमाध्यमों को न्यायालयीन प्रकरणों की रिपोर्टिंग (वार्तांकन) करते समय सावधान रहना चाहिए – केरल उच्च न्यायालय

केरल उच्च न्यायालय ने कुछ दिन पूर्व प्रसारमाध्यमों को न्यायालयीन प्रकरणों की रिपोर्टिंग (वार्तांकन) करते समय सावधान रहने का आवाहन किया है ।

रथयात्रा पर बंगाल पुलिस द्वारा प्रतिबंध लगाना, यह धार्मिक प्रथा में हस्तक्षेप ! – कोलकाता उच्च न्यायालय

इससे स्पष्ट होता है कि, बंगाल सरकार संविधान के अनुसार निर्णय नहीं लेती है । ऐसी सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू करना ही योग्य होगा !

मस्जिद के भोंपुओं की आवाज पर नियंत्रण रखने के लिए हम गंभीरता से प्रयत्न कर रहे हैं !

 जनहित याचिका पर गुजरात सरकार के उच्च न्यायालय में प्रतिपादन !

बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बल की नियुक्ति योग्य ! – सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 

पंचायत स्तर के चुनावों के लिए केंद्रीय बल को तैनात करना पडता है, यह तथ्य स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी बिगड चुकी है । इसलिए केंद्र सरकार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए !

न्यायव्यवस्था में कर्मफलन्याय सिद्धांत का समावेश अत्यावश्यक ! – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

एक ही प्रकार का अपराध होते हुए भी अपराधियों को भिन्न दंड क्यों दिया जाता है ? उसके पीछे क्या कर्मफलसिद्धांत है ? जब एकाध द्वारा बलात्कार के समान अपराध होता है, तब उसके पीछे ‘काम’ एवं ‘क्रोध’ ये षड्रिपुओं के दोष समाहित होते हैं । क्या उसका अध्ययन नहीं होना चाहिए ?

‘हेट स्पीच’ की लाठी धर्मांधों एवं जिहाद का आवाहन करनेवाले पुस्तकों पर कब चलेगी !

‘हेट स्पीच’ की (विद्वेषपूर्ण वक्तव्य देने की) लाठी हिन्दुओं पर चलाई जाती है । हिन्दुओं पर प्रतिबंध लगाकर उन पर अभियोग प्रविष्ट किए जाते हैं । ‘हेट स्पीच’ में फंसाकर हिन्दुओं का दमन किया जाता है । यदि ऐसा है, तो ‘धर्मांधों’ एवं जिहाद का आवाहन करनेवाली पुस्तकों पर कब कार्यवाही की जाएगी ?

भारतीय दंपति की सवा दो वर्ष की बेटी को उन्हें सौंपने से जर्मनी की न्यायालय का नकार !

बर्लिन के न्यायालय ने भारतीय दंपति की २ वर्ष ३ माह की लडकी को उसके माता-पिता को सुपूर्द करने से मना कर दिया है । न्यायालय ने इस लडकी के पालन-पोषण का दायित्व ‘जर्मनी युथ वेलफेयर कार्यालय’को सौंपा है । वर्ष २०२१ से यह लडकी सरकार के नियंत्रण में है ।