अध्यात्मप्रसार के कार्य के द्वारा कर्म, ज्ञान एवं भक्ति का त्रिवेणी संगम बनानेवाले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !
‘राष्ट्र, समाज, संस्कृति एवं धर्म के लिए निःस्वार्थ एवं निरपेक्ष भावना से कर्म कीजिए तथा उसके लिए ज्ञान संपादन कर ही ऐसा कर्म कीजिए’, यह सीख देकर प्रत्येक व्यक्ति के अंतःकरण में राष्ट्रभक्ति का तथा साधना का कभी न बुझनेवाला दीप प्रज्वलित रहे; इसके लिए डॉ. जयंत आठवलेजी ने अपना संपूर्ण जीवन उत्सर्ग किया है ।