‘सनातन धर्मशिक्षा, राष्ट्र और धर्म ‘ प्रदर्शनी के माध्यम से अध्यात्म का प्रसार करना एक महत्वपूर्ण एवं महान धार्मिक कार्य है ! – महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती महाराज

प्रयागराज, १२ जनवरी (वार्ता) – सनातन संस्था की ‘सनातन धर्म शिक्षा प्रदर्शनी’ सनातन धर्म की छोटी-छोटी बातों को आचरण में लाने की दृष्टि से उपयोगी है। सनातन संस्था द्वारा आयोजित ‘ सनातन धर्मशिक्षा प्रदर्शनी ’ के माध्यम से अध्यात्म का प्रसार एक महत्वपूर्ण एवं प्रमुख धार्मिक कार्य है। इस कार्य के लिए मेरा आशीर्वाद सदैव रहेंगा । मेरा सनातन संस्था से संबंध छह वर्ष पूर्व उज्जैन के कुंभ मेले में हुआ था। तब से मैं लगातार सनातन संस्था के संपर्क में हूं और मैं इससे इस तरह जुड़ गया हूं जैसे मैं इसका सदस्य हूं”, ऐसा मध्य प्रदेश के इंदौर में महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने एक मार्मिक बयान में कहा ।

वे दीप प्रज्ज्वलित कर ‘सनातन धर्मशिक्षा प्रदर्शनी’ का उद्घाटन करने के बाद मार्गदर्शन दे रहे थे। महाराज आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण को रोकने और गुरुकुल के माध्यम से आदिवासी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए काम करते हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले, यवतमाल, महाराष्ट्र से पूर्व भाजपा विधायक श्री संदीप धुर्वे उपस्थित थे। इस अवसर पर सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने , प.पु. महाराज को सम्पूर्ण प्रदर्शनी दिखाई ।
इस अवसर पर सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने अपील करते हुए कहा कि महाकुंभ मेले में आए और आने वाले श्रद्धालुओं को धार्मिक दिनचर्या, सनातन धर्म की सहज साधना, धार्मिक कृत्यों का शास्त्र और सुखी जीवन के लिए गतिविधियाँ और आध्यात्म सिखने के लिए सनातन संस्था द्वारा आयोजित सनातन धर्मशिक्षा प्रदर्शनी का लाभ अवश्य उठाना चाहिए ।
प्रदर्शनी में आध्यात्मिक ग्रंथ प्रदर्शित !
कुंभ मेले के सेक्टर १९ में मोरी और मुक्ति मार्ग के चौराहे पर ‘सनातन धर्मशिक्षा प्रदर्शनी’ लगाई गई है। यह प्रदर्शनी १२ जनवरी से १५ फरवरी तक सुबह ९ बजे से रात ९ बजे तक सभी के लिए खुली रहेगी । यहां आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक एवं धार्मिक शिक्षा के ग्रंथ एवं पट्टिकाओं की भव्य प्रदर्शनी लगाई गई है । इन ग्रंथो के माध्यम से भक्तों को हिन्दू जीवन शैली, संस्कृति, धर्म, आध्यात्म और राष्ट्र से संबंधित अमूल्य ज्ञान प्राप्त होगा । ये पुस्तकें १३ भाषाओं में ३५० से अधिक हैं ।