सनातन संस्था द्वारा संपूर्ण देश में १५३ स्थानों पर ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ संपन्न !

माया के भवसागर से शिष्य और भक्त को धीरे से बाहर निकालनेवाले, उनसे आवश्यक साधना करवानेवाले और कठिन समय में उन्हें निरपेक्ष प्रेम का आधार देकर संकटमुक्त करानेवाले गुरु ही होते हैं । ऐसे परमपूजनीय गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है ‘गुरुपूर्णिमा’ !

तनावमुक्ति हेतु अपने दुर्गुणों को दूर कर, गुणवृद्धि करें ! – श्रीमती वैदेही पेठकर, सनातन संस्था

आजकल सर्वत्र ही छात्रों में तनाव दिखाई देता है । तनाव निर्मूलन हेतु अपने व्यक्तित्व के दोषों को दूर करने के लिए, अपने गुण बढाने की आवश्यकता है ।

स्वयं के द्वारा हिन्दू धर्म का आचरण करने से ही हिन्दुओं को जागृति लाना संभव ! – दयाल हरजानी, व्यवसायी, हाँगकाँग

मंदिरों में दानपेटी होती है; परंतु ज्ञानपेटी नहीं होती । मंदिरों में धर्म का ज्ञान मिलना आवश्यक है । दुर्भाग्यवश मंदिरों की ओर से ज्ञान नहीं दिया जाता । इसलिए हमें मंदिरों में भी परिवर्तन लाना पडेगा । धर्म का ज्ञान लेकर मन में मंदिर तैयार नहीं हुआ, तो वह किसी उपयोग का नहीं है ।

आज ही ‘डाउनलोड’ करें, सनातन के ‘ई-बुक’ स्वरूप में ग्रंथ !

स्वभावदोष (षड्रिपु)-निर्मूलनका महत्त्व एवं गुण-संवर्धन प्रक्रिया (अंग्रेजी), नामजप का महत्त्व (अंग्रेजी), त्योहार मनानेकी उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र (हिन्दी)

‘सनातन दंतमंजन’ का औषधी उपयोग

सनातन दंतमंजन के नियमित उपयोग से मसूडे एवं दांत की दुर्बलता दूर होकर मसूडे और दांत मजबूत होते हैं । मसूडों की सूजन, उसमें से रक्त आना बंद होता है । दांतों की सडन रुककर दांतों का स्वास्थ सुधर जाता है, साथ ही दांत जड से मजबूत होते हैं ।

सनातन संस्था की गुरुपूर्णिमा महोत्सव के लिए मुख्यमंत्री श्री. बसवराज बोम्माई को निमंत्रण !

सनातन संस्था द्वारा आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री. बसवराज बोम्माई को निमंत्रण दिया गया ।

प्राचीन धर्मशास्त्रों के आधार पर भारतीय संविधान तैयार किया जाए !

‘संविधान बनाते समय शंकराचार्य, धर्माचार्य जैसे धर्म के जानकारों का मत लिया जाए ।’, ‘भारतीय संविधान में ‘पंथ’ एवं ‘धर्म’, साथ ही ‘रिलीजन’ आदि की परिभाषाएं स्पष्ट की जाएं ।’

दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में धर्मकार्य करनेवाले हिंदुत्वनिष्ठों की आध्यात्मिक प्रगति की घोषणा से आनंद का वातावरण !

अभी तक के अधिवेशन में ५ संत हुए, ४० हिंदुत्वनिष्ठों ने ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया, यह अधिवेशन की फलोत्पत्ति है !

संप्रदायवाद छोडकर हिन्दुत्ववाद और राष्ट्रवाद अपनाइए ! – पू. चंद्रकांत महाराज शुक्लजी, जिलाप्रमुख, गुरुवंदना मंच, वलसाड, गुजरात.

जिस प्रकार से कि किसानों ने अनेक महिनोंतक आंदोलन किया और उसके कारण सरकार को ३ कृषि कानून रद्द करने पडे, उसी प्रकार हिन्दुओं को सरकार पर भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए दबाव बनाना पडेगा ।

नेपाल के हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा संतों और धर्मप्रेमियों का सम्मान !

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के व्यासपीठ से नेपाल के ‘हिन्दू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. भोलानाथ योगी और पोखरा के ‘विश्व हिन्दू महासंघ’ के जिला अध्यक्ष श्री. शंकर खराल ने सद्गुरु, संत एवं धर्मप्रेमीयों को रुद्राक्ष की माला और नेपाली टोपी पहनाकर सम्मान किया ।