सभी दुर्दशाओं का एक मात्र समाधान साधना ही है । – स्वामी निर्गुणानंद पुरी, कोषाध्यक्ष और शाखा सचिव, इंटरनेशनल वेदांत सोसाइटी, बंगाल

कम्युनिस्टों के शासन में बंगाल में राजनीतिक स्थिति चिंताजनक हो गई। कम्युनिस्ट सरकार ने हमारी परंपरा एवं संस्कृति को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

सनातन संस्था के संत पू. भगवंत कुमार मेनरायजी (आयु ८५ वर्ष) ने किया देहत्याग !

मूल फरीदाबाद (हरियाणा) निवासी एवं वर्तमान में रामनाथी स्थित सनातन संस्था के आश्रम में रह रहे सनातन के ४६ वें संत पू. भगवंत कुमार मेनरायजी ने ४ जून २०२४ को सायंकाल ७.१५ बजे देहत्याग किया ।

महर्षियों द्वारा वर्णित सर्वाधिक सूक्ष्म से कार्य कर धर्मसंस्थापना करनेवाले श्रीविष्णु के कलियुग के अनोखा ‘श्रीजयंतावतार’ !

ऋषियों ने जीवनाडी-पट्टिका के माध्यम से गुरुदेवजी के सूक्ष्म कार्य का परिचय दिया है । तब भी इतना ही कहा जा सकता है कि ‘ज्ञात-अज्ञात स्रोतों से अब तक हुई गुरुदेवजी की पहचान अपूर्ण ही है ।

शून्य से आरंभ कर विश्वव्यापक कार्य करनेवाले श्रीमन्नारायण स्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

प.पू. डॉ. आठवलेजी के पास ऐसी कोई आर्थिक पूंजी नहीं थी । ऐसी आर्थिक स्थिति में प.पू. डॉ. आठवलेजी ने पूरे विश्व में अध्यात्मप्रसार करने का शिवधनुष उठाया था । इससे उनकी ईश्वर के प्रति पराकोटि की श्रद्धा दिखाई देती है ।

गुरुदेवजी, श्री गुरु का जन्मोत्सव मनाने के संदर्भ में भी ‘आप ही विजयी हुए, हम पराजित !’

वर्ष २०१५ से सनातन का मार्गदर्शन करनेवाले विभिन्न महर्षियों की आज्ञा का पालन करने की दृष्टि से साधक गुरुदेवजी का जन्मदिवस मना रहे हैं ।

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का ब्रह्मोत्सव’, अर्थात मन को परमानंद की अनुभूति प्रदान करनेवाला क्षण ! – पू. डॉ. शिबनारायण सेनजी, संपादक, साप्ताहिक ‘ट्रुथ’

‘इस समारोह में गुरुदेवजी का उनके सहस्रों साधक भक्तों के साथ दर्शन करना’, यह मेरे लिए आनंददायी एवं उत्साहवर्धक अनुभव था । ‘इन साधक भक्तों के पांव की धुल भी अत्यंत पवित्र है’, ऐसा मुझे लग रहा है ।

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की जन्म कुंडली में ग्रह यह दर्शाते हैं कि अपने पूर्व जन्म में वे एक श्रेष्ठ संत थे !

अनेक विषयों की शिक्षा लिए बिना भी किसी व्यक्ति को उस विषय का ज्ञान होना बिल्कुल दुर्लभ है ! ऐसे व्यक्ति को यदि भविष्य की घटनाओं की सूक्ष्मदृष्टि प्राप्त हो, तो कहा जाएगा कि ‘वह व्यक्ति एकमेवाद्वितीय ही है’ । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के संदर्भ में यह बात सटीक मेल खाती है ।

अंत तक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के अखंड सान्निध्य में रहनेवाले सनातन के ४६ वें (समष्टि) संत पू. (स्व.) भगवंत कुमार मेनरायजी (आयु ८५ वर्ष) !

वे उनके साथ आए प्रत्येक साधक का नाम लेकर मुझे पूछते, ‘क्या उनका भोजन हो गया ?’ यदि मैं एवं हमारे साथ आए साधकों ने भोजन न किया हो, तो वे हमें भोजन करने के लिए कहते ।

महर्षि एवं ‘गुरुतत्त्व’ द्वारा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित सनातन के ग्रंथों को ‘वेद’ संबोधित किया जाना

महर्षिजी का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी संकलित सनातन के ग्रंथों को ‘ॐकार वेद’ संबोधित करना

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के अमृत वचन

‘भगवान के आंतरिक सान्निध्य में रहना’, यह ज्ञान होने के लिए गुरुदेवजी की आवश्यकता होती है ।