संत एकनाथ महाराज द्वारा बताई निजात्मपूजा (आत्मपूजा) तथा उस दृष्टि से विजयादशमी की महिमा !
दशहरा का अर्थ है साधना के द्वारा इंद्रियनिग्रह कर स्वयं पर विजय प्राप्त करना !
दशहरा का अर्थ है साधना के द्वारा इंद्रियनिग्रह कर स्वयं पर विजय प्राप्त करना !
गंगा माता की रक्षा के लिए विरोधियों की धमकियों से न डरकर निःस्वार्थ भाव से अखंड कार्य करनेवाले प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया ।
ऋषि-मुनियों ने भी विविध नाडीपट्टिकाओं में लिखकर रखा है कि सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे, पर साधकों के मन में भी यह प्रश्न उठ सकता है कि ‘कैसे ?’; इस विजयादशमी पर हम यह विषय समझेंगे ।
पू. प्रदीप खेमकाजी एक उद्योगपति हैं । उन्होंने साधना में संतपद प्राप्त किया है तथा उन्होंने अपने व्यवसाय में भी बहुत अच्छी प्रगति की है । उन्होंने ये दोनों बातें कैसे साध्य की, इस संबंध में उन्हीं के शब्दों में सुनेंगे ।
अध्यात्ममें ध्येयप्राप्तिके लिये अलग अलग मार्ग हैं । प्रगति होनेके लिये प्रत्येक मार्गमें अलग अलग क्षमता काममें आती है । उन क्षमताओंको संक्षेपमें आगे दिया है । स्वयंमें कौनसी क्षमता अधिक है, यह पहचानकर स्वयंको अनुकूल साधना करनेपर आध्यात्मिक प्रगति शीघ्र होनेकी संभावना बढेगी ।
ईश्वर के सतत अनुसंधान में रहनेवाले बडोदरा के सनातन के साधक श्री. श्रीपाद हर्षे (वय ८९ वर्ष) सनातन के १२७ वें संतपद पर विराजमान हुए ।
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में उनके चरणों में कृतज्ञतापूर्वक नमस्कार !
जोधपुर, राजस्थान की सनातन की ६३ वीं संत पू. (श्रीमती) सुशीला मोदीजी का ७३ वां जन्मदिवस !
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से मुझे अंतर से विज्ञान एवं अध्यात्म, साथ ही उनके संदर्भ में सगुण एवं निर्गुण के विषय में कुछ सूत्र सूझे । वे इन दोनों संकल्पनाओं को सुस्पष्ट करते हैं, इसकी मुझे अनुभूति हुई ।
‘सप्तर्षियों ने जीवनाडीपट्टिका में बताया, ‘जब श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी परात्पर गुरु डॉक्टरजी से साधकों की साधना के विषय में बात करती हैं, उस समय गुरुदेवजी कभी-कभी हाथ हिलाकर अथवा मुख पर निहित भाव से उन्हें उत्तर देते हैं ।’