परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का बुद्धिअगम्य एवं अलौकिक दैवी कार्य !

कलियुग में सैकडों की संख्या में शिष्यपरिवारवाले कुछ महान गुरु हुए । उनके शिष्यपरिवार में से अनेक शिष्य संत (७० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के) थे; परंतु इसके संदर्भ में वस्तुनिष्ठ आंकडे उपलब्ध नहीं है ।

सरल साधनामार्ग उपलब्ध करानेवाले गुरुदेवजी के प्रति अपने भीतर कृतज्ञभाव जागृत कीजिए !

इस चैतन्यदायी भारतभूमि को ईश्‍वरप्राप्ति हेतु धूप-वर्षा आदि में से किसी भी बाधा की चिंता किए बिना कठोर तपस्या करनेवाले ऋषि-मुनियों की परंपरा प्राप्त है ।