साधनाके तीन प्रकार

‘इंद्रियां श्रेष्ठ कही जाती हैं । इंद्रियोंसे मन श्रेष्ठ है । मनसे बुद्धि श्रेष्ठ है । जो बुद्धिसे श्रेष्ठ है, वह आत्मा (ब्रह्म) है ।’

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी निमित्त हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा उत्तर भारत में आयोजित ‘ऑनलाइन’ विशेष उपक्रमों को जिज्ञासुओं का उत्स्फूर्त प्रतिसाद

प्रतिदिन संपन्न हुए इस कार्यक्रम में दैनिक जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार किस प्रकार आचरण करें ?, भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और पूजन का शास्त्र, भगवान श्रीकृष्ण पर किए जानेवाले आरोप और उनका खंडन इत्यादि विषयों पर शास्त्रीय जानकारी दी गई ।

सनातन में ‘मैंने किया’, ऐसा कुछ भी न होना – परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी

‘कुछ आध्यात्मिक संस्थाएं अथवा संप्रदाय कोई अभियान अथवा कार्यक्रम करने पर ‘हमने यह किया, हमने वह किया’, ऐसा बताते हुए दिखाई देते हैं; परंतु सनातन में सभी कार्य महर्षि, संत आदि के अर्थात भगवान के मार्गदर्शन अनुसार किया जाता है ।

पुणे की श्रीमती उषा कुलकर्णी (आयु ७९ वर्ष) सनातन की ११० वीं तथा श्री. गजानन साठे (आयु ७८ वर्ष) १११ वें संत घोषित !

वृद्ध होते हुए भी अकेले ही रोग में सभी स्थिति संभालनेवाली, जिनका अखंड भाव रहता है कि ‘गुरुदेव साथ में हैं’ एवं स्थिरता जिनका स्थायीभाव है, ऐसी श्रीमती उषा कुलकर्णीजी को सनातन की ११० वीं व्यष्टि संत घोषित किया गया ।

सनातन के संत पू. (श्रीमती) सुशीला मोदीजी एवं पू. नीलेश सिंगबाळजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !

भाद्रपद पूर्णिमा (२० सितंबर) को वाराणसी के पू. नीलेश सिंगबाळजी का जन्मदिन है । इस निमित्त से ‘झारखंड राज्य के धनबाद और कतरास जिलों के साधकों को पू. नीलेश सिंगबाळजी से सिखने को मिले सूत्र इस लेख में प्रस्तुत हैं ।

आपातकाल में अणु बम की सहायता से प्रचंड संहार होगा ! – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी

विश्वयुद्ध के कारण पृथ्वी पर रज-तम (प्रदूषण) बहुत बढेगा । इसलिए इस विश्वयुद्ध के पश्चात संपूर्ण पृथ्वी पर सात्त्विकता बढाने के लिए पृथ्वी को शुद्ध करना पडेगा ।

षट् सम्पत्ति

समाधान का अर्थ है शंकाओंका निरसन । अध्यात्मशास्त्रका अध्ययन करते समय नाना प्रकारके विकल्प और शंकाएं मनमें आती हैं । सभी प्रश्नोंके उत्तर मिलकर सभी शंकाओंका निरसन होनेपर प्राप्त होनेवाली शांति ।

गुरुदेवजी पर अपार श्रद्धा रखनेवाली डॉ. (श्रीमती) शरदिनी कोरे (आयु ७८ वर्ष) १०९ वें संतपद पर विराजमान !

सनातन के इतिहास में एक ही समय मां के संत और पुत्री के जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होने की अभूतपूर्व घटना !

अध्यात्म

अध्यात्म विषयक बोधप्रद ज्ञानामृत’ लेखमाला से भक्त, संत तथा ईश्वर, अध्यात्म एवं अध्यात्मशास्त्र तथा चार पुरुषार्थ ऐसे विविध विषयों पर प्रश्नोत्तर के माध्यम से पू. अनंत आठवलेजी ने सरल भाषा में उजागर किया हुआ ज्ञान यहां दे रहे हैं ।

जो साधना के रूप में लेखन करते हैं, उनसे ही गुरु लेखन-कार्य करवाते हैं ! – वैज्ञानिक एवं लेखक डॉ. मोहन बांडे

प्रत्येक साधक के जीवन में गुरु विविध माध्यम से आते हैं । सभी संत भले ही अलग-अलग दिखाई दें, तब भी वे अंदर से एक ही होते हैं । किससे कौनसी साधना करवानी है, यह उन्हें पता होता है ।