हिन्दुओं द्वारा कर्महिन्दू बनने के लिए प्रयास करना आवश्यक – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, हिन्दू जनजागृति समिति
हिन्दू जनजागृति समिति की द्विदशपूर्ति के निमित्त गांगकला (उत्तर प्रदेश) में वर्षगांठ का कार्यक्रम
हिन्दू जनजागृति समिति की द्विदशपूर्ति के निमित्त गांगकला (उत्तर प्रदेश) में वर्षगांठ का कार्यक्रम
युद्ध विविध स्तरों पर लडा जाता है । उसके अनुसार ‘हलाल जिहाद’ के माध्यम से आर्थिक युद्ध लडा जा रहा है । हलाल व्यवस्था के माध्यम से मिलनेवाले अगाध धन का उपयोग आतंकवादियों की सहायता करने के लिए किया जाता है । इस धन से आतंकवादियों के न्यायालयीन अभियोग लडे जाते हैं ।
उत्तर भारत में प्रतिकूल परिस्थिति में भी धर्मप्रसार का कार्य अत्यंत लगन से करनेवाले, प्रेमभाव से हिन्दुत्वनिष्ठों से निकटता साधनेवाले एवं विनम्र वृत्ति के हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी २९.६.२०२२ को सद्गुरुपद पर विराजमान हुए ।
उत्तर भारत में प्रतिकूल परिस्थिति होते हुए भी अत्यंत लगन से धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले, हिन्दुत्वनिष्ठों को प्रेमभाव से अपनानेवाले, विनम्र वृत्ति के हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळ के सदगुरुपद पर विराजमान होने की आनंदवार्ता २९.६.२०२२ एक भावसमारोह में घोषित की गई ।
गुरुकृपायोगानुसार साधना कर पू. नीलेश सिंगबाळजी ने सद्गुरु पद प्राप्त किया । इस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी और सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी की पत्नी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने उनका सम्मान किया ।
चैत्र नवरात्रि के पवित्र पर्वकाल में वाराणसी के ‘अखिल भारतीय धर्मसंघ शिक्षा मंडल’ के महामंत्री श्री. जगजीतन पांडे के शुभहस्तों से ‘इम्पॉर्टन्स ऑफ पर्सनैलिटी डिफेक्ट रिमूवल एंड इन्कलकेटिंग वर्च्यूज्’ इस सनातन के अंग्रेजी भाषा के ‘ई-बुक’ का लोकार्पण किया गया ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना केवल मत नहीं, अपितु व्रत बनना चाहिए । राष्ट्र और धर्म पर मंडरा रहे संकट के समय धर्म के पक्ष में रहना, हम सभी का दायित्व है । वर्ष २०२५ के पश्चात सत्त्वगुणी हिन्दुओं द्वारा भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।
हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पू. निलेश सिंगबाळजी ने सभी हिन्दुत्ववादी संगठनों को एकजुट होकर रामराज्य लाने के लिए प्रयास करने का आवाहन किया । इस शोभायात्रा में ‘जय श्री राम जय-जय श्री राम’, ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ आदि अनेक नारे दिए गए ।
वर्तमान में पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण कर सर्वत्र १ जनवरी को नया वर्ष मनाया जाता है । देखा जाए तो, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही हिन्दुओं का नववर्ष है । ब्रह्मदेव ने इसी दिन ब्रह्मांड की निर्मिति की थी । इसी दिन से सत्ययुग का प्रारंभ हुआ, तथा इसी दिन से हिन्दू संस्कृति की कालगणना का आरंभ हुआ ।
मनोगत व्यक्त करते हुए सुश्री सुनीता छत्तर ने कहा कि वह बचपन से ही भगवान शिव की उपासना करती थीं । साधना आरंभ करने पर उन्होंने शिवजी से प्रार्थना की, ‘अब मैं आपकी ही हो गई हूं न ! इसलिए आप ही मुझे अपनी पूर्णकालिक सेवा करने के लिए सेवाकेंद्र में लेकर आइए ।’