वामपंथियों की शिक्षापद्धति के कारण आज की पीढी मुगलों को ही उनका आदर्श मानती है ! – जगजीतन पांडेय, महामंत्री, अखिल भारतीय धर्मसंघ शिक्षा मंडल

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न !

२० हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के १०० से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ सहभागी

श्री. जगजीतन पांडेय

वाराणसी (उ.प्र.) – ‘‘भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं का दमन किया जा रहा है । हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न मिलने से उनकी आगामी पीढी धर्माभिमान से वंचित हो गई है । वामपंथियों द्वारा निर्मित शिक्षापद्धति के कारण आज की पीढी मुगलों को ही अपना आदर्श मानती है । इसलिए सभी को हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रयत्नशील होना आवश्यक है’’, ऐसा प्रतिपादन अखिल भारतीय धर्मसंघ शिक्षा मंडल के महामंत्री श्री. जगजीतन पांडेय ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा वाराणसी स्थित आशापुर के अर्चना गार्डन में ‘प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न हुआ । उस समय वे बोल रहे थे । इस अधिवेशन में २० हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के १०० से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ सहभागी हुए थे ।

(बाएं से) पू. नीलेश सिंगबाळजी, श्री. देव भट्टाचार्य, दीपप्रज्वलन करते जगजीतन पांडेय एवं स्वामी ब्रह्ममयानंदजी

अधिवेशन का उद्घाटन श्री. जगजीतन पांडेय; भारत सेवाश्रम संघ, वाराणसी के स्वामी ब्रह्ममयानंदजी; रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, वाराणसी के अध्यक्ष श्री. देव भट्टाचार्य एवं पू. नीलेश सिंगबाळजी के करकमलों द्वारा दीपप्रज्वलन से हुआ ।

हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता और सनातन संस्था के साधकों के बखान करते हुए ‘रामनगर इंडस्ट्रियल असोसिएशन, वाराणसी’ के अध्यक्ष श्री. देव भट्टाचार्य ने कहा, कि ‘‘साधकों के आचार-विचार, वेशभूषा संपूर्ण भारतीय संस्कृति के अनुसार है । उनके मुखमंडल पर शांति, शालीनता एवं अद्भुत तेज है ।’’

इस समय स्वामी ब्रह्ममयानंदजी ने कहा कि ‘‘हिन्दू राष्ट्र के लिए ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज का ज्ञान होना आवश्यक है । हमें प्रतिवाद एवं प्रतिसाद की नीति स्वीकार करनी होगी ।’’

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना केवल मत नहीं, अपितु व्रत बनना चाहिए ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रचारक संत, हिन्दू जनजागृति समिति

पू. नीलेश सिंगबाळजी

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना केवल मत नहीं, अपितु व्रत बनना चाहिए । राष्ट्र और धर्म पर मंडरा रहे संकट के समय धर्म के पक्ष में रहना, हम सभी का दायित्व है । वर्ष २०२५ के पश्चात सत्त्वगुणी हिन्दुओं द्वारा भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । इसलिए सर्व संगठनों को संगठित होकर कार्य करने की आवश्यकता है ।