यदि मंदिर ही कानून-व्यवस्था के लिए समस्या बन जाते हैं, तो कभी-कभी उन्हें बंद कर देना चाहिए !

भक्त शांति की शोध में मंदिरों में जाते हैं किन्तु यदि मंदिर ही अब कानून व्यवस्था के लिए समस्या बनते जा रहे हैं तो उनका मुख्य उद्देश्य ही समाप्त हो गया है ।

महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के दर्शन की व्यवस्था मार्ग से सामान्य भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया गया, जिस कारण यह दुर्घटना हुई !

बांके बिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात को मंगला आरती के समय भारी भीड होने से दम घुटने के कारण दो भक्तों की मृत्यु हो गई थी ।

‘औरंगजेब ने ज्ञानवापी की संपत्ति दान करने के उपरांत वहां मस्जिद बनाई गई !’ – मुसलमान पक्षकारों का अवैध का दावा

इससे विदित होता है कि मुसलमान कैसे – कैसे दावे कर रहे हैं, जिससे हिंदुओं को उनका आधिकारिक धार्मिक आस्था स्थान न मिल पाए ! ‘हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई’ का नारा लगाने वालों का इस विषय में क्या कहना है ?

गया के विष्णुपद मंदिर में बिहार के मुसलमान मंत्री का प्रवेश !

यदि कोई हिन्दू अन्य सम्प्रदायों के पूजा स्थलों से संबंधित वर्जित स्थान में प्रवेश करता तो सर्वधर्म समभाव वाले लोग, यह आरोप तक लगा देते कि ‘ वह हिन्दू दंगा भड़काने का षड्यंत्र कर रहा था ‘! किन्तु अब उन्हें सर्वधर्म समभाव की स्मरण होगी !

आरती के समय हुई भीड के कारण दम घुटने से दो की मृत्यू

हिन्दू मंदिरों में नियोजन के अभाव में ऐसी कई घटनाएं होती हैं और उसमें भक्तों के प्राण जाते हैं । इस स्थिति को परिवर्तित करने के लिए मंदिर खरे भक्तों के हाथों में सौंपना चाहिए !

बिहार में सिर काटकर राम जानकी मंदिर के पुजारी की हत्या !

बहुसंख्यक हिन्दुओं के देश में संत-महंत, पुजारियों की हत्याएं होना हिन्दुओं के लिए लज्जाजनक ! इस स्थिति को परिवर्तित करने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ अनिवार्य है !

जयपुर के श्री खाटूश्यामजी मंदिर में मची भगदड में ३ श्रद्धालुओं की मृत्यु !

हिन्दुओं के मंदिरों में उचित व्यवस्थापन न होने के कारण यात्राओं में होती हैं ऐसी दुर्घटनाएं ! यदि मंदिर प्रशासन भक्तों को सुलभ दर्शन दिलाने के लिए योग्य उपाय योजना करे, तो भक्तों को भगवान के द्वार पर अपने प्राण नहीं गंवाने होंगे !

सौदी अरेबिया में मिला ८ सहस्र वर्ष पूर्व का प्राचीन मंदिर !

इस मंदिर पर अनेक प्रतीक चिन्ह और शिलालेख भी हैं । यहां यज्ञवेदी भी मिली है । इससे निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि, ‘यहां नियमित यज्ञ और अनुष्ठान होते रहे होंगे’ ।

विभाजन के समय यह स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए था, कि जो मुसलमान ‘दारुल इस्लाम’ चाहते हैं, वे मुसलमान भारत में नहीं रह सकते ! डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी

हिन्दुओं ने भी गलती की है । १९४७ में विभाजन के समय यह स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए था कि जो मुसलमान ‘दारुल इस्लाम’ चाहते हैं, वे भारत में नहीं रह सकते ।