सनातन संस्था की श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की दैवी एवं ऐतिहासिक प्रयागराज यात्रा !

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की उत्तराधिकारिणियां श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी (सद्गुरुद्वयी) ने २१ एवं २२ जनवरी को तीर्थराज प्रयागराज की यात्रा की । इस यात्रा में उन्होंने विभिन्न स्थानों का अवलोकन किया ।

महाकुम्भ पर्व के हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में संत-महंतों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा रखे गए उद्बोधक विचार

भारत संविधान से चल रहा है; इसलिए भारत को संवैधानिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए । इस देश में आज भी अनेक लोग पाकिस्तान के पक्षधर हैं ।

स्वयंभू शिवलिंग निर्मित होने का अध्यात्मशास्त्रीय आधार

जहां पूर्ण अंधकार होता है, वहीं प्रकाश का महत्त्व समझ में आता है । महत्त्व ज्ञात होने के उपरांत ही प्रकाश का कार्य प्रारंभ होता है, ऐसा ही ईश्वरीय कार्य के विषय में कह
सकते हैं ।

साधुत्व की बदनामी !

सच्चे साधु कभी भी उनके साधुत्व का प्रदर्शन नहीं करते, अपितु वे साधनारत होते हैं तथा वही उनके जीवन का लक्ष्य होता है । उनमें लोकप्रियता का लालच नहीं होता । लोकप्रियता का लालच रखनेवालों को क्या ‘साधु’ कहना भी उचित होगा ?

प्रशासन के अति आत्मविश्वास तथा नियोजन की त्रुटियों से श्रद्धालुओं को कष्ट !

महाकुम्भ पर्व में हुई भगदड की घटना अत्यंत दुर्भाग्यशाली है । इसमें निर्दाेष श्रद्धालु अकारण बलि चढे । इस घटना के निश्चित कारण, प्रशासनिक त्रुटियां तथा उसके उपायों के विषय में हम इस लेख में पढेंगे !

शिवजी की उपासना का महत्त्व !

एक निर्दयी एवं महापापी व्याध (बहेलिया), एक दिन आखेट (शिकार) करने निकला । मार्ग में उसे शिवमंदिर दिखाई दिया । उस दिन महाशिवरात्रि थी । इस कारण, शिवमंदिर में भक्तजन पूजन, भजन, कीर्तन करते दिखाई दे रहे थे ।

तेजस्वी रूप में प्रकट हुए ज्योतिर्लिंग !

भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंग विख्यात हैं । सहस्रों लोग ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए इकट्ठा होते हैं । ‘ज्योतिर्लिंग’’ शब्द का अर्थ है ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ अर्थात ही ‘व्यापक प्रकाश’ !

रुद्राक्ष की विशेषताएं !

रुद्राक्ष नाम के वृक्ष को आनेवाले फल को ‘रुद्राक्ष’ कहते हैं । रुद्राक्ष का अर्थ है शिवशंकरजी का तीसरा नेत्र ! यह शब्द ‘रुद्र + अक्ष’ से बना है । शिवभक्तों की दृष्टि से रुद्राक्ष का बडा महत्त्व है ।

शिवजी की तारक एवं मारक उपासना कैसे करें ? 

महाशिवरात्रि का उत्सव हर्षाेल्लास के साथ मनाएं । भगवान शिवजी की नियमित रूप से पूजा-अर्चना करें । शिवलिंग पर दूध चढाएं तथा गोशाला को दान दें । गायों का संवर्धन करें तथा इसपर आपत्ति जतानेवालों का समर्थता के साथ विरोध करें ।