अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि पर ही श्रीराम का मंदिर बने; इसके लिए भक्तों द्वारा किया गया त्याग !

श्री रामलला तंबू में होने से २३ वर्ष अविवाहित रहनेवाले तथा चप्पल न पहननेवाले बिहार के देबू दास !

देबू दास

किशनगंज (बिहार) – यहां के देबू दास नामक रामभक्त ने २३ वर्षाें से चप्पल नहीं पहनी । वर्ष २००१ में श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन हेतु जब वे अयोध्या गए थे, वहां उन्होंने श्री रामलला को तंबू में रखा हुआ देखा । उसी समय उन्होंने शपथ ली कि ‘जब तक यहां श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं होगा, तब तक मैं विवाह नहीं करूंगा तथा चप्पल भी नहीं पहनूंगा ।’ तब से वे अविवाहित हैं तथा नंगे पैर ही घूम रहे हैं; परंतु अब श्रीराम मंदिर का उद्घाटन होनेवाला है, तो उद्घाटन के पश्चात श्री रामलला के दर्शन करने के उपरांत वे चप्पल पहननेवाले हैं । देबू दास ने बताया कि श्रीराम की कृपा से विगत २३ वर्षाें से नंगे पैर घूमते समय भी मेरे पैर में कभी काटा नहीं चुभा ।


श्रीराम मंदिर का निर्माण होने तक अयोध्या के सूर्यवंशी समुदाय ने विगत ५०० वर्षाें से पगडी नहीं पहनी !

५०० वर्ष उपरांत पगडी पहने हुए सूर्यवंशी समुदाय के नागरिक

अयोध्या (उत्तर प्रदेश) – हिन्दुओं ने अयोध्या के श्रीराम मंदिर हेतु ५०० वर्ष लडाई लडी है । ‘श्रीराम मंदिर के निर्माण में अपना भी योगदान हो’, इसके लिए अनेक लोगों ने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार लडाई लडी, कुछ लोगों ने उसके लिए व्रत रखा, तो कुछ लोगों ने विभिन्न प्रकार के निश्चय भी किए थे । इसकी जानकारी अब सामने आ रही है । अयोध्या से १५ कि.मी. की दूरी पर स्थित सराईवंशी गांव के सूर्यवंशी समुदाय के लोगों ने ५०० वर्ष पूर्व ‘जब तक श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं होगा, तब तक सिर पर पगडी तथा पैरों में चमडी के चप्पल नहीं पहनेंगे ।’, यह शपथ ली थी । उनकी अनेक पीढियों ने श्रीराम मंदिर हेतु बलिदान दिया है । इस समुदाय का यह कहना था कि ‘प्रभु श्रीराम यदि उनके स्थान पर विराजमान नहीं हो पा रहे हैं, तो हम लोग सुख-चैन से कैसे जी सकते हैं ?’


अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण होने तक विवाह न करने की विगत ३१ वर्षाें से शपथ लिए हुए भोपाल के भोजपाली बाबा !

रवींद्र गुप्ता उपाख्य भोजपाली बाबा

भोपाल (मध्य प्रदेश) – यहां के रवींद्र गुप्ता उपाख्य भोजपाली बाबा ने वर्ष १९९२ में बाबरी ढांचा गिराने के समय अयोध्या गए थे । उन्होंने अपनी आयु के २१ वें वर्ष में शपथ ली थी कि ‘अयोध्या में जब तक श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं होता, तब तक विवाह नहीं करूंगा ।’ विगत ३१ वर्ष से सनातन धर्म की रक्षा हेतु विभिन्न हिन्दू संगठनों में वे कार्यरत हैं । अब भोजपाली बाबा ने विवाह न कर शेष जीवन सनातन धर्म को समर्पित करने का निर्णय लिया है ।


अयोध्या के श्रीराम मंदिर हेतु धनबाद (झारखंड) की सरस्वती देवी विगत ३१ वर्षाें से रख रही हैं मौनव्रत !

सरस्वती देवी

रांची (झारखंड) – अयोध्या में २२ जनवरी को श्रीराम मंदिर का उद्घाटन हो रहाहै । श्रीराम मंदिर हेतु विगत ३१ वर्षाें से झारखंड की धनबाद स्थित ८५ वर्षीय सरस्वती देवी मौन व्रत रख रही हैं । अब वे श्रीराम मंदिर के उद्घाटन समारोह हेतु अयोध्या पहुंची हैं । वहां वे अपना मौनव्रत छोडनेवाली हैं ।

सरस्वती देवी के परिजनों ने बताया कि वर्ष १९९२ में बाबरी ढांचा गिराए जाने से लेकर वे शांत हुई थीं । उन्होंने यह शपथ ली की जब श्रीराम मंदिर का निर्माण होगा, तभी वे मौन व्रत छोडेंगी । महंत नृत्य गोपाल दास की प्रेरणा से उन्होंने मौनव्रत का पालन किया है । वे अयोध्या में ‘मौनीमाता’ के नाम से विख्यात हैं । वे हमारे साथ हाथ से संकेत कर बोलती रहती हैं । कोई बात संकेत करने हेतु कठिन हो, तो वे उस बात को लिखकर दिखाती हैं ।