विद्यालयों-महाविद्यालयों में आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिताओं में विजेता छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनतान के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ दें  !

छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनातन द्वारा प्रकाशित ग्रंथमाला ‘बालसंस्कार’ के ग्रंथ, साथ ही अन्य ग्रंथ दिए, तो उससे उनके मन पर सुसंस्कारों का महत्त्व अंकित करने में सहायता मिलेगी ।

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य का ध्वज ऊंचा रखने हेतु ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, भाषांतर, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने के इच्छुक युवक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें ।

दत्तात्रेय देवता की उपासना का शास्त्र बतानेवाला सनातन का ग्रंथ !

दत्त जयंती का महत्त्व, दत्त द्वारा धारण की गई विविध वस्तुएं, पितृदोष दूर करने हेतु दत्त के नामजप का महत्त्व ये सब जानकर लेने के लिए अवश्य पढे ग्रंथ “भगवान दत्तात्रेय”

कलियुग की सर्वश्रेष्ठ नामजप साधना, नामजप की वाणियां एवं ध्वनि-प्रकाश विज्ञान

नामजप स्थूल ध्वनि, अव्यक्त ध्वनि, साथ ही प्रकाश ऊर्जा से चित्तशुद्धि कर मनुष्य को केवल स्वास्थ्य ही नहीं, अपितु आनंदप्राप्ति का मार्ग साध्य कराता है । यह कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना सिद्ध होती है ।

मनुष्य का शरीर विभिन्न यंत्रों सहित कारखाने की भांति आत्मा का वाहन होना

अंदर बैठा हुआ जीव, जीवात्मा, आत्मा, परमात्मा अर्थात चेतना है, शाश्वत है, अविनाशी है, सर्वव्यापी है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है । यही अंतिम सत्य, यही हमारा स्वस्वरूप तथा यही है अनादि अनंत !

ईश्वर से सनातन को मिला एक अनमोल वरदान श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

देवताओं के दर्शन करते-करते सप्तर्षियों एवं सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी की कृपा से श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में विद्यमान देवीतत्त्व प्रकट होने लगा है । समाज के अनेक लोग उनकी ओर आकृष्ट होते हैं । उनका ‘तेजस्वी मुखमंडल’ ही अब उनकी पहचान बन चुका है ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर तीव्र गति से आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । इस लेख में उनकी जन्मकुंडली में समाहित आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के माध्यम से साक्षात आदिशक्ति जगदंबा पृथ्वी पर वास कर रही हैं ! – सप्तर्षि

भक्त अपने-अपने भावानुसार, अनुभूति अनुसार, साधनामार्गानुसार भगवान का वर्णन करता है  ! भगवान का प्रत्यक्ष रूप कैसा है ?, इसका केवल वेद, उपनिषद में ही वर्णन मिलता है । उसी प्रकार अवतारों की भी महिमा है ।

पिठापुरम् (आंध्र प्रदेश) में श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी से मिलने के लिए साक्षात श्री दत्तगुरु का वृद्ध पुजारी के रूप में पधारना

सप्तर्षियों द्वारा जीवनाडी-पट्टिका में बताए अनुसार श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी १४.११.२०२२ को आंध्र प्रदेश में स्थित पिठापुरम् गई थीं । उस समय पिठापुरम् में हुई दैवीय लीला आगे दी है ।

अध्यात्म में उच्च स्तर पर होते हुए भी सभी में घुलमिलकर सभी को अपना बनानेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

सादगी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की एक विशेषता है । उसके साथ उनके खुले स्वभाव एवं सुंदर आचरण का संयोग हुआ है । इसके कारण उनके सान्निध्य में सभी को आनंद मिलता है ।