श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने किए जोधपुर (राजस्थान) की मां सत्चियादेवी के भावपूर्ण दर्शन !

इस अवसर पर श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने ‘सर्वत्र के साधकों को हो रहे विभिन्न कष्ट दूर हों तथा हिन्दू राष्ट्र की शीघ्रातिशीघ्र स्थापना हो’, इसके लिए भावपूर्ण प्रार्थना की ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने सप्तर्षियों की आज्ञा से तमिलनाडु के ‘कुंभकोणम्’ क्षेत्र के निकट कावेरी नदी के तट पर बसे ७ शिवमंदिरों के किए दर्शन !

इन ७ शिवमंदिरों में परंपरागत उत्सवों में जाने से श्रद्धालुओं के मनोरथ पूर्ण होते हैं । कुछ श्रद्धालु सप्त शिवमंदिरों के दर्शन का संकल्प लेकर मनौती मांगते हैं । अनेक ग्रामवासी मन में भिन्न-भिन्न संकल्प कर शिवमंदिरों में जाते हैं ।

पिठापुरम् (आंध्र प्रदेश) में श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी से मिलने के लिए साक्षात श्री दत्तगुरु का वृद्ध पुजारी के रूप में पधारना

सप्तर्षियों द्वारा जीवनाडी-पट्टिका में बताए अनुसार श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी १४.११.२०२२ को आंध्र प्रदेश में स्थित पिठापुरम् गई थीं । उस समय पिठापुरम् में हुई दैवीय लीला आगे दी है ।

मिलिंद चवंडके लिखित ‘श्रीकानिफनाथमाहात्म्य’ इस ग्रंथ को श्रद्धालुओं से मिला अभूतपूर्व प्रतिसाद !

‘श्रीकानिफनाथमाहात्म्य’ मराठी भाषा में काव्यबद्ध ग्रंथ का हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड एवं तेलगु भाषाओं में अनुवाद होने पर सर्व प्रांतों में श्रद्धालुओं को इस ग्रंथ का लाभ मिलेगा । उनका दैनंदिन जीवन सहज-सुलभ होने में बडी सहायता होगी, ऐसा श्रद्धालुओं का कहना है ।

कोलकाता स्थित (बंगाल) श्री कालीघाट का जागृत श्री कालीमाता का मंदिर

१८ वीं शताब्दी में निर्मित श्री कालीघाट शक्ति उपासना का केंद्र है । वहां हुगली नदी के तट पर श्री कालीमाता का प्रसिद्ध मंदिर है । वह ५१ शक्तिपीठों में से एक है । यहां सती के दाएं चरण की ४ उंगलियां गिरी थीं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी देवी ही हैं । देवी से मिलने देवी (श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी) गई थी । देवी ने इस भेंट का आनंद वर्षा के रूप में व्यक्त किया ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ द्वारा शेषनाग की फूंक से उत्पन्न ‘मणिकर्ण तप्तकुण्ड’ (जनपद कुलु) स्थान का किया हुआ अवलोकन !

देवी पार्वती के कर्णाभूषण में स्थित मणि जहां गिरी, वह स्थान है मणिकर्ण स्थित ‘तप्तकुंड’ ! यहां की यह विशेषता है कि मणिकर्म में घर-घर में भूमि से ही गरम पानी निकलता है; इसलिए यहां किसी के भी घर में स्नान हेतु पानी गरम करने का कोई साधन नहीं है ।