१. फेटे की रचना के कारण देह में सात्त्विक तरंगों के संवर्धन में सहायता मिलना : ‘उपरने से अथवा धूतवस्त्र से (धूले हुआ वस्त्र) सिर को गोलाकार पद्धति से लपेटना, यह सबसे सरल, सहज एवं सात्त्विक उपचार है । इस लपेटे हुए भागके मध्यमें निर्मित रिक्ति में ब्रह्माण्ड के सात्त्विक स्पन्दन घनीभूत होते हैं । फेटे की इस रचनासे देह में सात्त्विक तरंगों के संवर्धन में सहायता मिलती है ।
२. फेटे के स्पर्श से जीव की प्रज्ञा विकसित होने में सहायता मिलना : सिर पर निर्मित फेटे की रचना सब से सात्त्विक है; क्योंकि गोल आकार में घनीभूत होनेवाले स्पन्दन ज्ञानशक्ति से सम्बन्धित होने से, फेटे के स्पर्श से जीव की प्रज्ञा विकसित होने में सहायता मिलती है । फेटे की रचना में अनेक घेरों की निर्मिति होने से उसमें ज्ञानशक्ति युक्त स्पंदन अधिक मात्रा में घनीभूत होते हैं । फेटे में आवश्यकता नुसार मारक एवं तारक तरंगें घनीभूत होने से जीव को उसकी प्रकृति के अनुसार लाभप्राप्ति करने में सहायता मिलती है ।
३. फेटे के कारण देह की कार्यशक्ति की धारणा में वृद्धि होना : देह की कार्यशक्ति की धारणा बढानी हो, तो फेटे का छोर पीछे पीठ पर रखते हैं । पीठ के मध्यभाग में, अर्थात रीढ को स्पर्श करनेवाले फेटे के वस्त्र के कारण जीव की सुषुम्ना नाडी जाग्रत रहने में सहायता मिलती है ।
४. फेटा धारण करनेवाले जीव के सर्व ओर क्षात्रशक्ति और ज्ञानशक्ति से युक्त ताम्र (लाल-सा) नारंगी रंग का कवच निर्मित होना : ‘फेटा धारण करनेवाले जीव के सर्व ओर लाल-नारंगीसा रंग का कवच निर्मित होता है । यह कवच क्षात्रशक्ति और ज्ञानशक्ति से युक्त होता है । फेटा सिर पर धारण किए मुकुट समान कार्य करता है । फेटे के कारण सिर के सर्व ओर सुरक्षा-कवच निर्मित होता है । इससे वातावरण की अनिष्ट तरंगें जीव द्वारा ग्रहण नहीं होतीं । फेटे के कारण जीव की बुद्धि पर काला आवरण आने की मात्रा न्यून होती है तथा उसमें वैराग्यभाव की निर्मिति होती है ।
फेटे के नीचे के गोलाकार भाग से नीली और नारंगी रंगों की तरंगें वातावरण में प्रक्षेपित होती हैं । नीले रंग की भावतरंगों के कारण फेटा धारण करनेवाले जीव में लीनता और नम्रता आने में सहायता मिलती है । ये तरंगें उस वातावरण में फैलने से उन्हें ग्रहण करनेवाले को भी वैसा ही लाभ होता है ।
फेटे के उद्देश्य अनुसार रंग ‘क्षात्रतेजयुक्त शक्ति की तरंगें प्रक्षेपित होने हेतु फेटे का रंग लाल हो । लाल रंग अनिष्ट शक्तियों से रक्षा होने हेतु पूरक रंग है । समाज में ब्राह्मतेज का प्रसार करने हेतु तथा उसे स्वयं में संवर्धित करने हेतु फेटे का रंग पीला हो । पीला रंग आध्यात्मिक उन्नति हेतु पूरक रंग है ।