जो गाय को नहीं मानता, वह सनातनी हिन्दू नहीं है !

प्रयागराज में आयोजित गो संसद द्वारा २१ सूत्रोंवाला घोषणापत्र जारी !

गो संसद में घोषणापत्र प्रकाशित करते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी (दाईं ओर), साथ में शंकराचार्य स्वामी सदानंदजी एवं अन्य संत

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – जो गाय को नहीं मानता, वह सनातनी हिन्दू नहीं है, ऐसा वक्तव्य ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी ने यहां दिया । यहां के माघ मेले के सेक्टर ३ में उनके शिविर में गो संसद का आयोजन किया गया था, उसमें शंकराचार्यजी ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर गो संसद की ओर से २१ सूत्रोंवाला घोषणापत्र जारी किया गया । इस गो संसद में शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंदजी, साथ ही महामंडलेश्वर, संत, साधु आदि बडी संख्या में सम्मिलित हुए ।

गाय किसी भी एक धर्म अथवा पंथ की वस्तु नहीं है ! – शंकराचार्य स्वामी सदानंद

उपस्थित हिन्दू

शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंदजी ने कहा कि गाय किसी भी एक धर्म या पंथ की वस्तु नहीं, अपितु वह सभी के लिए है । जैसे एक माता उसके सभी बच्चों के लिए करती है, वैसे ही गाय समान आदरभाव से संपूर्ण जगत का पालन-पोषण करती है । इसलिए राजनीति एवं द्वेष से परे जाकर सभी को साथ लेकर संगठित होकर यह लक्ष्य प्राप्त करना पडेगा, तब ही गोरक्षा का संकल्प पूर्ण होगा ।

गो संसद की घोषणापत्र में समाहित कुछ सूत्र

१. ‘राष्ट्रीय राम गोभक्त आयोग’ की स्थापना

२. आगामी नवसंवत्सर ‘गौ संवत्सर’ के रूप में घोषित

३. केंद्र सरकार गाय को कानूनी रूप से पशु की श्रेणी से हटाकर उसे ‘माता’ के रूप में सम्मान दे तथा स्वतंत्र गो मंत्रालय की स्थापना करे ।

४. गाय एवं गाय की संतति के विषय को संविधान की राज्य सूची से हटाकर उसे केंद्रीय सूची में अंतर्भूत किया जाए ।

५. जो हिन्दू गोमांस भक्षण करता है, गोहत्या करता है या पशुवधगृह के व्यवसाय में है; वह जब तक ये कृत्य बंद नहीं करता तथा अपने किए पर पश्चाताप नहीं करता, तब तक सामान्य हिन्दू ऐसे लोगों के धार्मिक समारोहों में उपस्थित न रहें या उन्हें अपना मानकर उनका स्वीकार न करें । उनके साथ किसी भी प्रकार के संबंध न रखें जाएं । ऐसे लोगों की सूची बनाकर उन्हें उनके कृत्य का स्मरण करवा दिया जाएगा तथा आवश्यकता पडने पर सामान्य हिन्दुओं को सूचित किया जाएगा ।