सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने की सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त महाधिवक्ता एन्. व्यंकटरमण से सदिच्छा भेंट !
जो धर्म व धर्मसंस्थापना के लिए कार्य करते हैं, उन्हें कष्ट सहने ही पडते हैं । प्रभु श्रीराम को भी वनवास हुआ, पांडवों को भी दु:ख भोगने पडे, तब भी उन्होंने धर्मसंस्थापना का कार्य पूर्ण किया ।