सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने की सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त महाधिवक्ता एन्. व्यंकटरमण से सदिच्छा भेंट !

जो धर्म व धर्मसंस्थापना के लिए कार्य करते हैं, उन्हें कष्ट सहने ही पडते हैं । प्रभु श्रीराम को भी वनवास हुआ, पांडवों को भी दु:ख भोगने पडे, तब भी उन्होंने धर्मसंस्थापना का कार्य पूर्ण किया ।

पूरे विश्व के हिन्दुओं द्वारा हिन्दू धर्म की उचित सैद्धांतिक भूमिका प्रस्तुत करने के कारण ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ परिषद विफल हुई ! – सद्गुरु डॉ. पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ परिषद के आयोजक और वक्ता केवल हिन्दू धर्मविरोधी नहीं; अपितु नक्सलवादियों के समर्थक तथा भारतीय सैनिकों का विरोध करनेवाले देशद्रोही ही हैं । इस परिषद का पूरे विश्व के हिन्दुओं ने सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों द्वारा प्रतिकार किया ।

नए स्वरूप में ‘बालसंस्कार’ मोबाइल एप का लोकार्पण !

बच्चों में राष्ट्र और धर्म के प्रति प्रेम निर्माण हो, इसलिए उनके मन पर राष्ट्र और धर्म का महत्त्व अंकित करना आवश्यक है । यह महत्त्व अंकित करने के लिए बच्चे और अभिभावकों के लिए अनमोल जानकारी बालसंस्कार मोबाइल एप के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है ।

हिन्दू धर्म में छोटे बच्चों का श्राद्धकर्म न करने के कारण

छोटे बच्चों की मृत्यु के पश्चात उनके श्राद्धकर्म के समय पिंडदान के पश्चात उन्हें केवल मंत्रपूर्वक अन्न का निवाला ही दिया जाता है, जिसे ‘प्रकीर’ कहा जाता है । इस जन्म में ऐसे छोटे जीव के मन पर किसी भी प्रकार के संस्कार न होने से ईश्वर द्वारा उस जीव के लिए यह व्यवस्था की गई है ।

सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सव भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !

श्रीगुरु ने भक्त, शिष्य एवं साधकों को जन्म-जन्म से तत्त्वरूप में संभाला है । ऐसे प्रीतिस्वरूप एवं भक्तवत्सल गुरुदेवजी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस अर्थात गुरुपूर्णिमा

गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हिन्दू-राष्ट्र स्थापना हेतु सक्रिय होने का निश्‍चय करें ! – सद्गुरु डॉ. पिंगळे

शिष्य की आध्यात्मिक उन्नति के साथ धर्मसंस्थापना करना, यह गुरु परंपरा का कार्य रहा है । वर्तमान समय में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना, यह धर्मसंस्थापना का ही कार्य है ।

विनम्रता एवं दास्यभाव के मूर्तिमंत प्रतीक हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी !

‘एक बार हम गोवा से पुणे की यात्रा कर रहे थे । उस समय सद्गुरु पिंगळेजी मेरे बगल में बैठे थे । सद्गुरु पिंगळेजी के प्रभाव से ‘स्टेयरिंग’ पर हाथ होने के समय मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ‘मैंने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरण पकडे हुए हैं ।’