दुर्गुण एवं अहंकार का त्याग और सद्गुणों का संवर्धन, मनःशांति की कुंजी है ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

खरपतवार को उगाने के लिए कुछ मेहनत नहीं करनी पडती; पर बगीचे के लिए हमें मेहनत और योजना दोनों की आवश्यकता होती है । इसलिए जीवन में तनाव दूर कर शांति प्राप्त करने के लिए गुणों के संवर्धन से दोष और अहंकार के खरपतवार को निकालें ।

धर्मार्थ चिकित्सालयों के मुख्य सूचना पटल पर ‘धर्मार्थ’ ऐसा उल्लेख किया जाना चाहिए तथा दरिद्र एवं जरूरतमंद रोगियों के लिए योजना पटल को दृश्य क्षेत्र में प्रदर्शित किया जाना चाहिए !

महाराष्ट्र की स्वास्थ्य सहायता समिति का विभिन्न जिलों में धर्मार्थ आयुक्तों को निवेदन !