हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्र्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के नेपाल दौरे का संक्षिप्त वृत्तांत
काठमांडु – ५.९.२०२२ को ‘शान्ति सेवा आश्रम’ का स्थापना दिवस महोत्सव आयोजित किया गया था । इस कार्यक्रम में सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने मार्गदर्शन किया । इस समय शान्ति सेवा आश्रम के संस्थापक श्री. चिंतामणि योगी ने सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के आश्रम में पहुंचते ही उन्हें आनंद से आलिंगन दिया तथा उपस्थितों को सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का परिचय दिया । उन्होंने कहा, ‘‘हिन्दू जनजागृति समिति भारत में बहुत अच्छा कार्य कर रही है और इसी के साथ अन्य संस्थाओं को भी सक्षम बनाने हेतु प्रयास कर रही है । समिति का कार्य सुनियोजित एवं अनुशासन युक्त है । समिति में अनेक उच्च शिक्षित कार्यकर्ता सर्वस्व का त्याग कर निःस्वार्थ भाव से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में पूर्णकालीन सेवारत हैं । सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी अनेक वर्षों से शुद्ध भाव से नेपाल आते हैं । इसमें किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं है ।’’
नेपाल के सांसद व ‘केडिया ऑर्गनाइजेशन’ के श्री. बिमल केडिया से भेंट
नेपाल के उद्योगपति व सांसद डॉ. बिमल केडिया ने ‘ॐकार एकता महाअभियान’ के कार्यक्रम में सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी का उद्बोधन सुनकर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी से मिलने की इच्छा व्यक्त की । भेंट में उन्होंने नेपाल में हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों के विषय में चर्चा की । इस समय सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘यथा राजा तथा प्रजा व यथा प्रजा तथा राजा अर्थात प्रजा को उनकी पात्रता के अनुरूप ही राजा मिलता है । यह सूत्र ध्यान में रखकर हिन्दुओं में जागरण करना एवं उन्हें धर्मशिक्षा देने को महत्त्व दें ।’’ श्री. केडिया ने कहा, ‘‘समिति द्वारा भारत में किए जा रहे कार्य की जानकारी ली । नेपाल यात्रा में किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, तो अवश्य बताएं ।’’
समाज सत्त्व-रज प्रधान हो, तो शांति होती है ! – सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी
काठमांडू – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कालिका एफ.एम. की संचालिका रीना गुरूंग से सद्भावना भेंट की । इस समय श्रीमती गुरूंग ने कहा, ‘‘आपके सिद्धांत उचित नहीं, ‘आप मेरे पास आओ’, ऐसा कहनेवाला पंथ धर्म नहीं हो सकता । ऐसा तो राजनीतिक दल करते हैं ?’’ इस पर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘‘धर्म प्रेम सिखाता है । समाज सत्त्व-रज प्रधान हो, तो शांति होती है; परंतु यदि वह रज-तम प्रधान होता है, तो संघर्ष होता है । इससे अशांति होती है । समाज साधना नहीं करता; इसलिए समाज में द्वेष और प्रतियोगिता है ।’’
क्षणिकाएं
इस समय श्रीमती रीना गुरूंग ने कहा कि समाज में अनेक लोग हिन्दू धर्म एवं देवी-देवताओं की आलोचना करते हैं । सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी का सत्संग मिलता है, तो मेरे मन की शंकाएं दूर होती हैं । अब मैं हिन्दू धर्म की आलोचना करनेवालों को भली-भांति उत्तर दे पाऊंगी ।
प्रा. निरंजन ओझा व ‘आदित्य वाहिनी’ के श्री. दर्शन पनेरू से भेंट
काठमांडू – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने प्राध्यापक निरंजन ओझा तथा ‘आदित्य वाहिनी’ के श्री. दर्शन पनेरू से भेंट की । शिक्षा व्यवस्था के विषय में बोलते हुए श्री. ओझा ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था बच्चों पर ऐसा अंकित करती है कि ‘उनका देश अच्छा नहीं है ।’’ इस पर सदगुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘‘आज का सुशिक्षित वर्ग सामान्य टूथपेस्ट कौन सा लेना है, यह भी विज्ञापन देखकर निर्धारित करता है । इसी से उनका बौद्धिक दिवालियापन दिखाई देता है ।’’