सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने ‘साधना के आरंभिक काल में विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से कैसे तैयार किया ?’, इस विषय में श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी द्वारा चुने क्षण मोती !

जब साधना आरंभ की, उस समय मुझे परात्पर गुरुदेवजी का प्रत्यक्ष सान्निध्य मिला । ‘उस समय उन्होंने मुझे कैसे तैयार किया ?’, उसके कुछ चुनिंदा प्रसंग यहां बताती हूं ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में विद्यमान तेजतत्त्व एवं वायुतत्त्व के कारण उनकी देह, वस्तुओं एवं वाहन में आए विशेष परिवर्तन !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के ध्येय हेतु अखंड कार्यरत, अलौकिक कार्यक्षमता, सभी का आधारस्तंभ एवं महर्षिजी द्वारा ‘श्री महालक्ष्मी का अवतार’ कहकर गौरवान्वित श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का मार्गशीर्ष शुक्ल १४ को ५२ वां जन्मदिवस है ।

सभी को सहजता से प्रतीत होनेवाली श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की अलौकिकता !

सीतामाता ने जहां अग्निपरीक्षा दी थी, उस स्थान पर कार्यरत वयोवृद्ध व्यवस्थापक ने बताया, ‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी सीतामाता के समान दिख रही हैं !’

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के वाहन के संदर्भ में होनेवाली विभिन्न आध्यात्मिक अनुभूतियां !

जैसे-जैसे जीव की साधना बढती है, वैसे-वैसे देह में विद्यमान पंचमहाभूतों में जागृति आती है । उपासनामार्ग के अनुसार अथवा साधना के स्तर के अनुसार संबंधित तत्त्व का स्तर बढता है । उस समय देह पर उसके दृश्य परिणाम दिखाई देते हैं ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का अनमोल विचारधन !

स्वयं को अज्ञानी माननेवाले ज्ञानवंत को ही भगवान की कृपा से ज्ञान का कृपा प्रसाद मिलता है !

श्री. मिलिंद चवंडके लिखित ‘श्रीकानिफनाथमाहात्म्य’ ग्रंथ को श्रद्धालुओं से मिला अभूतपूर्व प्रतिसाद

प.पू. श्रीकानिफनाथों के ग्रंथ समान शेष आठों नाथों के स्वतंत्र ग्रंथों की निर्मिति कर, उन्हें भी पांच भाषाओं में श्रद्धालुओं के हाथों में देने का संकल्प श्री. मिलिंद चवंडके ने लिया है । नवनाथों के ग्रंथ का स्वतंत्र लेखन प्रथम बार होने से हम सभी इस ऐतिहासिक घटना के साक्षीदार बनेंगे ।

श्री दत्तगुरु के रूप में स्थित सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को निर्गुण की अनुभूति करानेवाली पाद्यपूजा !

नामजप के माध्यम से श्री दत्तगुरु को पुकारने के उपरांत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने साधकों को श्री दत्तगुरु के रूप में दर्शन देकर कृतकृत्य किया । साधकों ने गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में प्राप्त गुरुदर्शन और उनके पाद्यपूजन को अपने मनमंदिर पर अंकित कर लिया !

‘श्रीराम शालिग्राम’ पर प्रार्थना कर रहे हनुमानजी का रेखाचित्र दिखाई देना

शालिग्राम के शंकुरूप भाग को नीचा कर शालिग्राम को खडा कर देखने पर मुझे हनुमानजी के दर्शन हुए । शालिग्राम पर स्थित हनुमानजी का रेखाचित्र देखने पर यह मेरे ध्यान में आया । मुझे ‘वानर दिखाई देना’ शालिग्राम पर हनुमानजी के होने का सूचक था ।

रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में प्रतिष्ठापित ‘श्रीराम शालिग्राम’ की महिमा !

प्रभु श्रीराम भगवान शिव की अखंड उपासना करते हैं । प्रभु श्रीराम ने अनेक तीर्थस्थलों पर शिवलिंगों की स्थापना की है । उसके कारण शिवलिंग की भांति ही दिखाई देनेवाले इस शालिग्राम को ‘श्रीराम शालिग्राम’ कहा गया है ।

रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में चैतन्यमय वातावरण में श्रीराम शालीग्राम की प्रतिष्ठापना !

श्रीविष्णु स्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के पावन निवास के कारण सनातन का रामनाथी आश्रम तो भूवैकुंठ ही बन गया है । इस आश्रम को विभिन्न देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त हुए हैं ।