‘१६.५.२०२० के पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ में ‘आज से सनातन के साधक सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को ‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी’ एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को ‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी’ के नाम से संबोधित करें’, यह सूचना दी गई थी । सप्तर्षियों ने ‘सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिका’ के माध्यम से इन सद्गुरुद्वयी को वैसे संबोधित करने के लिए कहा है; परंतु ऐसा होते हुए भी अभी भी अनेक साधक ‘सद्गुरु बिंदाताई’ अथवा ‘पू. दीदी’, साथ ही ‘सद्गुरु गाडगीळ काकू’ अथवा ‘पू. काकूजी’, इस प्रकार से उनका उल्लेख करते हैं । सनातन के साधक सप्तर्षियों का आज्ञापालन कर यदि ‘श्रीसत्शक्ति’ एवं ‘श्रीचित्शक्ति’, इन शब्दों का उच्चारण करेंगे, तो जिस प्रकार ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध एवं उनसे संबंधित शक्तियां एकत्र होती हैं’, इस अध्यात्म के सिद्धांत के अनुसार उन शब्दों से दैवी शक्ति कार्यरत होकर वह साधकों को मिलेगी । अतः साधक बोलते समय अथवा लिखते समय ‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी’ तथा ‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी’, इसी प्रकार से उनका उल्लेख करें !’
– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (४.११.२०२३)